भीतर बहुत कुछ टूटता रहा.... वो ओढ़ के बैठी रही ...मुस्कुराहटें ।।
आंचल से बिखरती समीर की शीतलता बदल चुकी बन थाती मेरी सुषुप्तावस्था की आंचल से बिखरती समीर की शीतलता बदल चुकी बन थाती मेरी सुषुप्तावस्था की
तु खुद कोस्वीकार कर तु बढ़ कर जहां मे आ_अपनी_पहचान_बना । तु खुद कोस्वीकार कर तु बढ़ कर जहां मे आ_अपनी_पहचान_बना ।
ख्वाहिशें कभी मरती नहीं वो धूल में बिखरे लौहकण सी जिंदा है ! ख्वाहिशें कभी मरती नहीं वो धूल में बिखरे लौहकण सी जिंदा है !
मैं भीगना चाहता हूँ, अब इन्हीं वाष्प कणों से बनते बादलों से फूटते पानी के सोते में मैं भीगना चाहता हूँ, अब इन्हीं वाष्प कणों से बनते बादलों से फूटते पानी के सोत...
गूंथकर पानी से करती एकमेक बिखरी आशाएं गूंथकर पानी से करती एकमेक बिखरी आशाएं
सांस को तरसते भविष्य देश के । सांस को तरसते भविष्य देश के ।
जानते हो....जब से तुमसे..मिली हूँ.. तब से लेकर इस पल तक की.. जानते हो....जब से तुमसे..मिली हूँ.. तब से लेकर इस पल तक की..
अभी ही तो आया था..सुधारस सा छाया था यौवन मकरंद...पुष्ट हुए जाते थे..अंग -प्रत्यंग , अभी ही तो आया था..सुधारस सा छाया था यौवन मकरंद...पुष्ट हुए जाते थे..अंग -प्रत...
गलाता जा रहा है मुझे मेरे पतंगी सपनों के साथ भर रहा जीवन भर का अविश्वास मुझमें। गलाता जा रहा है मुझे मेरे पतंगी सपनों के साथ भर रहा जीवन भर का अविश्वास मुझम...