लेखन में रुचि है सोशल मीडिया पर लेखन करती रहती हूँ .... मैं प्रतिभा द्विवेदी उर्फ मुस्कान©के नाम से जानी जाती हूँ ।
रौनक है संसार की है आधार शिला परिवार की अस्तित्व रक्षा चाहती है महिला। रौनक है संसार की है आधार शिला परिवार की अस्तित्व रक्षा चाहती है महिला।
तो जाने से पहले अपनी मधुरिम निशानी हम बनायें। मधुरिम निशानी हम बनायें।। तो जाने से पहले अपनी मधुरिम निशानी हम बनायें। मधुरिम निशानी हम बनायें।।
वैसे कलमकार वही श्रेष्ठ है जो अवसाद ग्रस्त को सुखी करे । वैसे कलमकार वही श्रेष्ठ है जो अवसाद ग्रस्त को सुखी करे ।
संपूर्णानंद मिले इसी में जीवन का ये सार जानें।। संपूर्णानंद मिले इसी में जीवन का ये सार संपूर्णानंद मिले इसी में जीवन का ये सार जानें।। संपूर्णानंद मिले इसी में जीवन...
यादों का बवंडर आँखों में उतर आयेगा। जाने वाला तो जैसे तैसे चला जायेगा। यादों का बवंडर आँखों में उतर आयेगा। जाने वाला तो जैसे तैसे चला जायेगा।
इन्हीं कमजोर हाथों ने रण में , दुश्मनों को मार गिराया है। इन्हीं कमजोर हाथों ने रण में , दुश्मनों को मार गिराया है।
क्यों?? ठेस की ठोकर से आहत मन हो जाते हैं! क्यों?? जानते बूझते लोग नादान बन जाते हैं!! क्यों?? ठेस की ठोकर से आहत मन हो जाते हैं! क्यों?? जानते बूझते लोग नादान बन ज...
अपने ही हाथों अपना घरौंदा तहस-नहस फिर करते हैं तहस-नहस फिर करते हैं। अपने ही हाथों अपना घरौंदा तहस-नहस फिर करते हैं तहस-नहस फिर करते हैं।
और विश्व में इसका नाम है। मर गये मारने वाले इसको यही इसकी पहचान है। यही इसकी पहचान है। और विश्व में इसका नाम है। मर गये मारने वाले इसको यही इसकी पहचान है। यह...
मनचाहा खो रहा है अनचाहा मिल रहा है । कभी मन से कभी बेमन से इंसान जी रहा है। मनचाहा खो रहा है अनचाहा मिल रहा है । कभी मन से कभी बेमन से इंसान जी रहा है।