दादी माँ
दादी माँ
दादी आपकी तरह कोई लोरिया गाता नहीं
कहानियों का हर कलाकार सामने आता नहीं।
आपके बिना सोने का मजा आता नहीं है,
ठंडी में कंबलों को गर्माहट देना आता नहीं हैं।
आपकी तरह कोई डांट लगाता ही नहीं,
और बेतुकी बातें बना कर कोई बहकाता नहीं।
कोई नहीं कहता कि सो जाओ भूत आएगा,
नहीं कहता कि खालों वरना राक्षस आएगा।
पहले जैसे बच्चों की भीड़ लगती नहीं है,
आपकी कमी है बस हम आज भी यही हैं।
उस दिन वह बहुत देर तक सोतीं रहीं,
बहुत जगाया मैंने पर वह जागी ही नहीं।
पता चला कि वह अब बहुत दूर जा चुकी है,
सोचा कि शायद दादी हमें अब भुला चुकीं हैं।
बताया था उन्होंने खुद एक दफा पूछने पर,
हम इन्सान मर कर भी कभी नहीं मरते हैं,
और दूर जाकर लोग सितारों में भी चमकते हैं।
आज भी मैं उन्हीं तारों की राहे तकतां हूँ,
वो चमकती हैं मैं जब जब बात करता हूं।
सोचों जिस दादी ने दान किया था कभी,
आज उनका ही पिंडदान किया जा रहा है।
जो कभी ईश्वर की बहुत बड़ी श्रद्धालु थीं,
आज उनके लिए श्राद्ध किया जा रहा है।