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Monika Sharma "mann"

Children Stories Comedy Drama

5.0  

Monika Sharma "mann"

Children Stories Comedy Drama

बात अमरूद की मोनिका शर्मा

बात अमरूद की मोनिका शर्मा

2 mins
817


गायत्री के देवर की शादी थी। घर में खुशियों का माहौल था। चहल पहल खी-खी, खा-खा हर जगह का लगा हुआ था। अमन भी खुश था की गायत्री सारी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे से निभा रही है। घर की बड़ी बहू जो ठहरी।


हल्दी वाले दिन सारी भाभियों ने मिलकर देवर की खिंचाई शुरू की। देवर ने शैतानी के शब्दों में कहा, "मेरी छोड़ो मेरा तो जो है सो है, लेकिन आप लोगों की शैतानियां पूछता हूं।”


“हां बताएं आप लोगों ने बचपन में क्या-क्या किया और उसका असर कभी आपके जीवन पर हुआ कि नहीं, चलो सब अपने अपने दिल की पोल खोलो...” गेम की शुरुआत सासू मां से हुई। सासु मां इस खेल में बहुत खुश थी, उन्होंने भी अपनी 2-4 किस्से कहानी सुनाएं कि कैसे बचपन में शैतानियां करके सब को परेशान करती थी!


अब गायत्री की बारी आई क्योंकि भाभियों में वही बड़ी भाभी थी। उन्होंने कहना शुरू किया,

“मेरे बचपन का एक किस्सा बहुत याद आता है। मैं दसवीं कक्षा में थी स्कूल जाने के लिए बस से जाना होता था। बस स्टॉप पर बहुत सारे घर थे लेकिन एक घर जिसमें अमरूद का पेड़ था, हम सभी बच्चे उसकी झुकी डालियों से अमरूद तोड़ते थे, चाहे कच्चे हो या पक्के हम लोगों को तो सिर्फ अमरूद खाने से मतलब था। उस घर की मालकिन डंडा लेकर डांटने आ जाती तो सबके होश उड़ जाते, जल्दी से बस आ जाये यही प्रार्थना करते। यह क्रम बारवीं कक्षा तक रहा। उन आंटी को हम सबके चेहरे अच्छे से याद हो गये थे। जब मेरी शादी हुई तो पता चला कि वह आंटी तो मेरी सासु मां की सबसे अच्छी सहेली थी जिन्होंने मेरी मुंह दिखाई के दिन मुझे तुरंत पकड़ लिया, अरे यह तो वही लड़की है जो हमारे घर के अमरूद चुराकर खाया करती थी। उनकी बात सुन कर तो मेरा चेहरा पीला पड़ गया, मगर वहाँ उपस्थित सभी लोगों की हंसी रूक नहीं पाई।”


वर्मा आंटी आज भी वही थी ।आंटी ने गायत्री के कान पकड़े और कहा, “हां हां मैं तेरे कान अभी भी पकड़ सकती हूं। मेरे आंगन के सारे अमरुद खा जाते थे तुम लोग। बहुत शैतान थे। सच में वह बच्चे आज मिले तो आज उनकी पिटाई कर दूं।” सब दोबारा से ठहाका लगा कर हंसने लगे।


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