सीख लिया हमने
सीख लिया हमने
जाने क्या दुश्मनी थी
किस्मत को हमसे कि
हर राह हर मोड़ पर
छलने वाले लोग ही मिले हमको
हम हर पल खुद को ही दोष देकर
आगे बढ़ते चले गए
मोहब्बत के दीये हम हर मोड़
हर राह पर जलाते रहे
और ये बेदर्द ज़माना इनको
बुझाने का काम करता रहा
लेकिन किस्मत को तो
कुछ और ही मंजूर था शायद
दीये मोहब्बत के फिर भी
जलते रहे जलते रहे
क्या होगा मोहब्बत का अंजाम
मालूम नहीं हमको
जो भी होगा फैसला खुदा का
मंजूर हमको होगा
आसमान से गिरकर सितारे कभी
ज़मीन पर गिरा नहीं करते
फिर हमारे कदम लड़खड़ाए जो तो
हम भला गिरेंगे क्यों बिखरेंगे क्यों
गिरकर उठना हमको आता है
हिम्मत नहीं हारेंगे हम
उठ कर फिर चल पड़ेंगे
अपनी मंजिल की और
हर किसी को सहारे की
जरूरत नहीं होती दोस्तो
तन्हा रहना हमने सीख लिया है
अब और तन्हाई हमको प्यारी है
कोई और क्या सहारा देगा हमको
अंधेरो से लड़ना सीख लिया हमने
डरने वालो में से नहीं हम हर मुसीबत से
लड़ना सीख लिया हमने