नयनों के उजाले
नयनों के उजाले
ये नयनों के उजाले हैं कुछ देखे कुछ भाले हैं
चंचल-चपल इन नयनों के अंदाज़ बड़े मतवाले हैं
तरिणी के जल से पावन हैं चितचोर बड़े मनभावन हैं
नयनों की बातें क्या कहिए सपनों का ये घर आंगन हैं
कभी झुक कर ये शर्माते हैं कभी पलकें उठा कर जादू जगाते हैं
नयनों की भाषा क्या कहिए इक तेज़ कटार सी चुभन है
हंसते नयना ठग लेते हैं, हों अशक भरे तो दर्द हज़ार देते हैं
ना जाने कितने पहलू हैं कुछ कातिल से हैं कुछ लुभावन हैं
ये नयनों के उजाले हैं मदहोश बनाने वाले हैं
तेरे कजरारे तीखे नयनों के अंदाज़ बड़े मतवाले हैं...