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Dr. Tulika Das

Others

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Dr. Tulika Das

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देखो प्रिय ! वसंत ऋतु चली आई ।

देखो प्रिय ! वसंत ऋतु चली आई ।

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रंग प्रीत का ओढ़ कर मीत मिलन को चली आई

पीली धूप ओढ़ कर खुशियां है घर आई

देखो प्रिय ! वसंत ऋतु चली आई ।

सजी संवरी निखरी निखरी 

नयी दुल्हन सी झिझकती 

कच्ची हल्दी का पीलापन लिए चली आई

सरसों के पीले फूल भी सजाती आई

 देखो प्रिय ! वसंत ऋतु चली आई । 

खिल उठी आम की मंजरिया 

कोमल है पत्तो की लड़ियां

कोयल की मीठी तान छेड़ती चली आई

महुएं की मीठी महक से महकती चली आई 

देखो प्रिय ! वसंत ऋतु चली आई ।


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