जिंदगी मैदान खेल का
जिंदगी मैदान खेल का
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जिंदगी एक खेल का मैदान है,
पारी अपनी हर कोई है खेलता।
जो थका ना जीत जाता है वही,
थकने वाला हार को है झेलता।
साथ मिलकर खेलने में है खुशी,
एक गिरे तो दूसरा आ थाम ले।
लक्ष्य को अपने तभी पाओगे तुम,
जब बसी हो भावना में एकता।
जय-पराजय होती सबकी खेल में,
इनके अनुभव से ही शिक्षा भी मिले।
है खिलाड़ी वो ही श्रेष्ठ खेल का,
सबकी जीत में जो जीत अपनी देखता।