!!"ज़िन्दगी"!!
!!"ज़िन्दगी"!!
ज़िन्दगी के जख्मों से बहुत कुछ मैंने सीखा है !
ज़िन्दगी क्या है एक जीने का सलीका है !
काया - माया साथ हो तो , लतीफ़ा है ये ज़िन्दगी !
वरना फूलों की सेज नहीं , कांटों की चुभन है ये ज़िन्दगी !
कभी नगमा , कभी आवाज़ है ये ज़िन्दगी !
कभी सुरीला साज , कभी टूटा तार है ये ज़िन्दगी !
अमीर के पैसे की खनक है ये ज़िन्दगी !
गरीब के दुःखों का सैलाब है ये ज़िन्दगी !
भूखे की भूख का अहसास है ये ज़िन्दगी !
दो जून की रोटी की पुकार है ये ज़िन्दगी !
मूक के बोलने की चाह है ये ज़िन्दगी !
वाचाल भी क्या कर लेते हैं , समाज में सभी गूंगे और बहरे हैं !
उन्हें दर्द सुनाने की चाह है ये ज़िन्दगी !
ज़िन्दगी क्या है सबको पता है , ये बेहया - बेवफ़ा है !
अरे ! इसने किससे वफ़ा की , जो वफ़ा निभायेगी !
एक दिन रोता - सुबकता छोड़ जायेगी !
फिर भी जीने की चाह है ये ज़िन्दगी !
नई ज़िन्दगी की चाह क्या रंग लाती है !
ढोल , ताशे तो कहीं शहनाई है !
कहीं शहनाई की चीख में घुट कर रह जाती है ये ज़िन्दगी !
ज़िन्दगी तेरा मोल क्या है ये किसी को नहीं पता है !
फिर भी इंसान तेरे तोल - मोल में लगा है !
सच पूछो तो पानी का बुलबुला है ये ज़िन्दगी !
वक्त का गुब्बार है ये ज़िन्दगी !
मौत का अहसास है ये ज़िन्दगी !
ज़िन्दगी मैंने तुझे करीब से देखा है !
मुझे पता है मैं तुझे बांध नहीं पाउँगा !
फिर भी बांधने की टीस मन में लिये !
"शकुन" एक आस है ये ज़िन्दगी !!