वो दिल कहाँ से लाऊं
वो दिल कहाँ से लाऊं
वो दिल कहाँ से लाऊं
जिसे आसानी से भूला पाऊं
मेरा दिल यूँही धड़कता रहे
चेहरा गुलाबी मस्त यूँही हंसता रहे।
वो दिल कहाँ से...
यादे मुझे सोने देती नहीं
कर बातें मैं यूँही लेता नहीं
आसमान में तारे मेरी ओर देखते हैं
प्रेम में जलती आग को करीब से देखते हैं।
यही बचपना में कर बैठा हूँ
सपनो को सजा के सोता हूँ
निगाहें ऐसे है कि कभी झपकती ही नहीं
मुझे आइना दिखाके लौटती ही नहीं।
वो करीब आके दूर हो जाते हैं
जैसे महफ़िल पूरी रात सजाते हैं
हम सुनते रहते हैं उनकी घुंघरू की आवाज
बस चारो ओर है संगीत और साज।
हमें नहीं गिला उनके जाने का
बस आज हो तो मौका मिला सोचने का
पहले हम डूब जाते थे यादो में
आज तो वो है हमारी बाहों में।