ईर्ष्या
ईर्ष्या
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मैं बाहर से बहुत
खुश रहती हूँ
लेकिन अंदर ही अंदर
मैं ईर्ष्या में रहती हूँ
न जाने किस बात पर
कुढ़ती रहती हूँ
बस हर वक़्त
खुद पर नाराज़ रहती हूँ।
पुरानी यादों में ही
जीती रहती हूँ
हर लम्हा सोच कर
बस चलती रहती हूँ।
पता नही क्यो
ऐसा करती रहती हूँ
कभी मरती थी
रिश्ते निभाने को
मैं आजकल रिश्तों से
थोड़ी खफा रहती हूँ।