घर और परिवार
घर और परिवार
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निकेत कँगूरा और परिवार
नींव और दीवार, हुआ करता है ।
छोटी बड़ी, तिरछी टूटी ईंट,
सब का पूरा योगदान हुआ करता है।
कँगूरा बदलता रहता है, लेकिन
नींव और दीवार, अक्सर नहीं बदलते हैं।
रखते हैं हरदम ख्याल परिवार का,
उसकी उन्नति हेतु प्रयासरत रहा करते हैं
आप खुद को न बदलना,
नहीं तो अन्तरात्मा की सुंदरता खो जाएगी।
सबसे एक सा व्यवहार करना,
नहीं तो आत्मा परेशान हो जाएगी।।
कर के किसी की अवहेलना
आप जीवन में कुछ न कर पाओगे।
रखोगे सब का ध्यान तो
खुशियों का आलम पा जाओगे ।