माँ कहती थीं
माँ कहती थीं
माँ कहती थीं,कि
जब ख़ुद माँ बनोगी
तब समझ पाओगी
माँ होने का मतलब
आज,जब माँ बनकर
सचमुच समझ पायी हूँ
माँ होने का मतलब,
तो भीतर ही भीतर
कुलबुलाने लगी है
एक इच्छा कि
काश ! एक बार फिर
लौट आए बचपन
वो बेपरवाह दिन
और माँ की ममता में
सना हुआ अल्हड़पन
तो सीने से लगा लूँगी
उनके तमाम जज़्बात
मान लूँगी उनकी
हर इक बात
दूर कर दूँगी
उनकी तमाम शिकायतें
उनके एक-एक
आदेश को बना लूँगी
रामायण के दोहे,और
क़ुरान की आयतें ।
जैसे ही
माँ को बताई मैंने
अपनी ये ख़्वाहिश
माँ मुस्कुराई
पास आकर बैठीं ,
सर पर हाथ फेरा
गले से लगाया
और
भरे कंठ से बोलीं
तूने जान लिया
माँ होने का मर्म
ये बात तो
बहुत अच्छी है
और सुन बेटा
कहीं खोया नहीं है
तेरा बचपन,
क्योंकि मेरे लिए तो
तू अभी भी मेरी वही
नन्हीं सी बच्ची है !!