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Rinku Bajaj

Others

2.1  

Rinku Bajaj

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मेरी चाय के पाँच कप

मेरी चाय के पाँच कप

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पहला कप है सुप्रभात

उनींदी पलकों पर इक घात,

एक घूँट जब जाए अंदर

मन झूमे फिर मस्त कलन्दर।


दूजा आये नाश्ते के संग

कुछ भी खा लो करे न तंग,

दो घूँट जब इसके अंदर

मन झूमे फिर मस्त कलन्दर।


तीजा कप है सब पे भारी

दिन की खत्म करे एक पारी,

थकान मिटाए सुबह की सारी

अगले पहर की करे तैयारी।


ढली शाम अगला कप आए

दोपहर की नींद भगाये,

ऊर्जा भर जाए फिर अंदर

रात के लिए फिर बने सिकन्दर।


शुभरात्रि का संदेश ले आये

पाँचवा कप जब अंदर जाए,

पाचन का ये करे निपटारा

हरी चाय का नशा है न्यारा।


चार पहर और पाँच कप चाय

दिन भर की थकान मिटाये,

पाँच कप जब चाय अंदर

मन झूमे फिर मस्त कलन्दर।


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