ज़िंदगी के खेल
ज़िंदगी के खेल
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अपने हुनर को खूब पहचानते है हम
वो खुश्बू की तरह मेरे रोम रोम में बसा है
कुछ पलों के लिए सबसे और इस से दूर हो जाते है
अपनों की खुशी के लिए अपने हुनर का त्याग कर देते है
जब भी शांति होती है फिर से अपने हुनर को संवार लेते है हम
अपनों की खुशी अपनी खुशी से ज्यादा अहमियत रखती है
खुद को थोड़े दर्द देकर भी खुश हो लेते है हम
साथ साथ जब चंद लोग रहते है तो मन मुटाव तो होता ही है
जिंदगी है ये जिंदगी के खेल निराले होते है