ये अंत भी नहीं है
ये अंत भी नहीं है
ए-हवा अब उन्हें कौन बताये?
कि उनका इंतज़ार आज भी है!
वो हमें गलत समझ बैठे हैं
और
हम उन्हें।
प्यार उनको भी है,
और
हमको भी।।
अब जिक्र...न वो करते हैं,
न हम।
तड़प उनको भी है
और
हमको भी।
अब न वो मिलते हैं,
न हम।
बेबस वो भी हैं
और
हम भी।
तोहफ़े उन्होंने भी दिए,
तोहफ़े हमने भी दिए।
न आज वो पहनते हैं
और न हम।
प्यार आज भी है,
उनको हमसे
और
हमको उनसे।
पर जिक्र
न वो करते हैं
और
न हम।
गलतियाँ हुई हैं।
उनसे भी
और
हमसे भी।
न सुधार वो करते हैं
और
न हम।
बेवफ़ा वो भी नहीं
और
हम भी नहीं।
गलतफहमियां दूर न वो करते हैं
और
न हम।
मिलते हैं पर नजर नहीं मिलाते।
न वो हमसे
और
न हम उनसे।
जिद उनमें भी बहोत है
और
हममें भी।
न वो कुछ पहल करते हैं
और
न हम।
यकीं है... एक दिन समझेंगे,
ये दिल जानता है
उनका भी
हमारा भी।
मैं खामोश हूँ...तो बस ये सोचकर कि
अंत में सब अच्छा होगा।
अगर कुछ अच्छा नहीं है तो ये अंत भी नहीं है।