तृप्त
तृप्त

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निसर्गसौंदर्य हे
लोभणीय जणू
भासे मज हे
करी तृप्त
दृश्य हे
मन
रे
निसर्गसौंदर्य हे
लोभणीय जणू
भासे मज हे
करी तृप्त
दृश्य हे
मन
रे