पापा! मैं रंगों से प्यार करती थी और अपनी दुनिया उन रंगों से सजाना चाहती थी। पापा! मैं रंगों से प्यार करती थी और अपनी दुनिया उन रंगों से सजाना चाहती थी।
कैसे सबको समझाती कि इस अदभुत प्रेम के वो दोनों ही साक्षी थे । आज तक भी वो यह बताने की ह कैसे सबको समझाती कि इस अदभुत प्रेम के वो दोनों ही साक्षी थे । आज तक भी वो यह बता...
रखा पर खुशी जैसे और कई बच्चियां इन्तेजार कर रही है अपनी यशोदा माँ का। रखा पर खुशी जैसे और कई बच्चियां इन्तेजार कर रही है अपनी यशोदा माँ का।
दीदी ये मन्दिर में हमेशा प्रवीण भैया मिल जाते है ? क्या ये सिर्फ संयोग दीदी ये मन्दिर में हमेशा प्रवीण भैया मिल जाते है ? क्या ये सिर्फ संयोग
शूटिंग में व्यवधान डाले गए। फ़िल्म के विरोध में वातावरण बना दिया गया। शूटिंग में व्यवधान डाले गए। फ़िल्म के विरोध में वातावरण बना दिया गया।
बन जायेगा जन्मो का बंधन, कब जाना था, जाना होगा इतना मुश्किल यह कब सोचा था बन जायेगा जन्मो का बंधन, कब जाना था, जाना होगा इतना मुश्किल यह कब सोचा था