धीरे धीरे ऐसा महसूस हुआ कि ये घंटी की आवाज मेरे करीब आ रही है ! धीरे धीरे ऐसा महसूस हुआ कि ये घंटी की आवाज मेरे करीब आ रही है !
बेटियाँ तो अपने अधिकार से ज्यादा मायके का प्यार ही चाहती हैं। क्या ये अधिकार उन्हें कोई कानून दिला स... बेटियाँ तो अपने अधिकार से ज्यादा मायके का प्यार ही चाहती हैं। क्या ये अधिकार उन्...
लेखक -अलेक्सान्द्र कुप्रिन अनुवाद - आ. चारुमति रामदास लेखक -अलेक्सान्द्र कुप्रिन अनुवाद - आ. चारुमति रामदास
ए चाँद… क्यों चिढ़ा रहा है मुझे अपने नूर से आज नितांत अकेली मैं निशीथ में। ए चाँद… क्यों चिढ़ा रहा है मुझे अपने नूर से आज नितांत अकेली मैं निशीथ में।
एक ऐसे बेटे की कहानी जो कभी भी माँ को छोड दे इतना बडा न हुआ एक ऐसे बेटे की कहानी जो कभी भी माँ को छोड दे इतना बडा न हुआ
इतनी संक्रामक बीमारी कोरोना की पीड़ित व्यक्ति के शव को भी कोई छूता नहीं इतनी संक्रामक बीमारी कोरोना की पीड़ित व्यक्ति के शव को भी कोई छूता नहीं