लेखक -अलेक्सान्द्र कुप्रिन अनुवाद - आ. चारुमति रामदास लेखक -अलेक्सान्द्र कुप्रिन अनुवाद - आ. चारुमति रामदास
“ये भूल जाने वाला समाज है मिर्ज़ा साहब!!......गाँठ बाँध कर नहीं रखता." “ये भूल जाने वाला समाज है मिर्ज़ा साहब!!......गाँठ बाँध कर नहीं रखता."