रात में भी कुछ नहीं खाया था। देख असकली बनाई है। रात में भी कुछ नहीं खाया था। देख असकली बनाई है।
महीनों बाद जब वो अपने मायके आई तो उससे मिलने वालों का जैसे वहाँ तातां लग गया। महीनों बाद जब वो अपने मायके आई तो उससे मिलने वालों का जैसे वहाँ तातां लग गया।
की मजहब बड़ा है या इन्सानियत और यह सोचकर की जब ईश्वर ने अपने सब बन्दो को अपनी सेवा में की मजहब बड़ा है या इन्सानियत और यह सोचकर की जब ईश्वर ने अपने सब बन्दो को अपनी...
जात-पात की सोच से अब हमें ऊपर उठ जाना ही बेहतर है... जात-पात की सोच से अब हमें ऊपर उठ जाना ही बेहतर है...
वास्तव में मैं अपनी बेटी में अपने आप को देखने लगा वास्तव में मैं अपनी बेटी में अपने आप को देखने लगा
भला ऐसा क्या बनना है तुम्हें, जिसकी कहीं कोई पढ़ाई नहीं होती भला ऐसा क्या बनना है तुम्हें, जिसकी कहीं कोई पढ़ाई नहीं होती