बड़े होकर क्या बनोगे?
बड़े होकर क्या बनोगे?
प्रार्थना खत्म होते ही स्कूल के सभी बच्चे अपने-अपने क्लास की तरफ भागे। वीना मैम कक्षा वन की क्लास टीचर थी। अटेंडेंस रजिस्टर उठाकर वह भी क्लास की तरफ बढ़ गई। नवरात्रि का समय चल रहा था और अगले दिन से स्कूल में छुट्टियां होने वाली थी, जिसका उमंग बच्चों में भी देखते बन रहा था।
क्लास में प्रवेश करते ही सभी बच्चों ने खड़े होकर अपनी क्लास टीचर का एक स्वर में अभिवादन किया-“गूड मॉर्निंग, मैम!”
वीना मैम ने भी सभी बच्चों को मुस्कुरा कर जवाब दिया- “गुड मॉर्निंग, बच्चों।” यह कहकर वह अपनी कुर्सी पर बैठ गई और एक-एक करके सभी बच्चों का नाम पुकार कर उनका अटेंडेंस लेने लगी। सबकी उपस्थिति दर्ज करने के बाद बच्चों के चेहरे पर उभरी चमक देख वीना मैम ने पुछा-“बच्चों, कल से तो स्कूल में छुट्टी होने वाली है। छुट्टी में घर पर तो खुब मस्ती होगी तुम लोगों की? लेकिन पढ़ाई -लिखाई को भूल मत जाना। समय निकालकर अपने विषय का अभ्यास भी जरूर से कर लेना।”
कक्षा में बैठे दो बच्चे अपनी ही धून में खोए थे और आपस में कुछ बातें कर रहे थे। क्लास टीचर के पुछने पर पहले तो वे सहम गए, पर थोडा प्यार से पुछने पर उनमें से आकाश ने अपनी सीट पर खड़ा होकर बताया कि – “मैम, हम बड़े होकर क्या बनेंगे, इसी बारे में बातें कर रहे थे।”
इसपर मुस्कुराते हुए क्लास टीचर ने पुछा- “अच्छा... तो बताओ तुम बडे होकर क्या बनोगे?”
आकाश ने अपने ही पास बैठे सूरज नाम के बच्चे की तरफ देखते हुए बताया-“पर मैम, ये सूरज तो बोलता है कि मुझे जो बनना है वैसा कुछ होता ही नहीं। और न ही उसकी कहीं पढ़ाई होती है।”
आकाश की बातें सुन वीना मैम ने उत्सकुतावश पुछा-“भला ऐसा क्या बनना है तुम्हें, जिसकी कहीं कोई पढ़ाई नहीं होती!”
तभी उस क्लास में मौजूद एक अन्य छोटी सी बच्ची अपने सीट से खड़ी होकर बोली-“मैम, मुझे तो डॉक्टर बनना है और मम्मा ने कहा है कि उसके लिए खूब मन लगाकर पढ़ना पड़ेगा ।”
उसके ही पास बैठा एक बच्चा उठकर अपनी तोतली ज़ुबान में बड़े ही प्यार से बोला-“मैम, मुधे तो पुलित बनना है औल (और) मैं थब (सब) थोलों (चोरों) तो पतल (पकड) लूंदा।”
उसकी बातें सुन क्लास में सभी बच्चे खिलखिलाकर हंस पड़े ।
सबों को शांत करती हुई क्लास टीचर ने मुस्कुराकर उन्हें शाबाशी देते हुए बिठाया और फिर अपना ध्यान आकाश की तरफ केंद्रित करती हुई उससे पुछी -“हाँ तो बेटा आकाश, तुम बताओ तुम्हे क्या बनना है?”
आकाश ने अपने पास बैठे सूरज की तरफ एक निगाह डाली और फिर क्लास टीचर की तरफ देखता हुआ बोला-“मैम, मुझे तो एक अच्छा इंसान बनना है। और पापा ने बताया है कि ये बन जाने के बाद तुम डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, जो भी चाहो बड़े आराम से बन सकते हो।”
आकाश की बातें सुन वीना मैम की आंखें खुशी से फैल गई और उन्होंने आकाश से पुछा-“तुम्हें पता है अच्छा आदमी बनने की पढ़ाई कहाँ होती है?”
आकाश ने अपना सिर हिलाते हुए कहा-“यस मैम, पापा ने बताया है कि इसकी पढ़ाई घर, स्कूल, खेल के मैदान और मैं जहाँ भी रहूं - हर जगह से कर सकता हूँ। लेकिन, ये सूरज कहता है कि ऐसी पढ़ाई कही नहीं होती।”
बच्चे के मन में एक अच्छे और सच्चे आदमी बनने की बीज बोने पर वीना मैम को उसके पिता की असली मंशा समझ में आ गई और उन्होंने आकाश से बैठ जाने को कहा। वह अभी बच्चों को समझा ही रही थी कि क्लास में प्रिंसिपल का प्रवेश हुआ और वह उनके साथ बच्चों को दुर्गा पूजा की छुट्टियों में दिए जाने वाले होम वर्क पर चर्चा करने में व्यस्त हो गई।
थोडी ही देर में, स्कूल की अगली घंटी बजी और दूसरे टीचर का क्लास में प्रवेश हो गया। उन्हे बच्चों को होम वर्क के बारे में समझा कर क्लास टीचर कक्षा से बाहर चली गई।
आज वीना मैम का सिर सुबह से ही भारी सा लग रहा था। दो-तीन पीरियड तक क्लास लेने के बाद जब बर्दाश्त न हुआ तो स्टाफ रूम में आकर अपना सिर पकड़ कर बैठ गई। तभी, अपनी कक्षा से निकलकर आकाश पानी पीने के लिए वहां से गुजरा और उसकी नज़र स्टाफरूम में सिर पकड़ कर बैठी क्लास टीचर पर पड़ी । एक पल के लिए दरवाजे पर ठिठक कर अपनी मैम को देखने के बाद वह आगे बढ़ गया।
करीब दस मिनट के बाद स्कूल के डॉक्टर का स्टाफरूम में प्रवेश हुआ। वीना मैम अब भी अपना सिर पकड़े वहीं बैठी थी। उनसे उनका हालचाल पुछ डॉक्टर ने अपनी जेब से एक दवाई निकाल उनकी तरफ बढ़ा दिया। पानी के साथ दवा को गटकते हुए वीना मैम ने मुस्कुराकर डॉक्टर से पुछा-“पूरा अस्पताल क्या साथ में लेकर घूमते हैं, डॉक्टर साहब?”
वीना मैम की बातों पर डॉक्टर ने मुस्कुरा दिया और बताया कि –“एक आकाश नाम के बच्चे ने आकर आपकी सिर दुखने की बात बतायी। उसने ही अपने हाथ के इशारे से आपके स्टाफ रूम में होने की जानकारी भी दी। इसलिए मैं बस चेक करने के लिए आ गया और कुछ सिरदर्द की दवाइयां भी अपने साथ ले आया।”
वीना मैम चुपचाप डॉक्टर की बात सुनती रही। पर उनके दिमाग में आकाश की एक अच्छे इंसान बनने की कही हुई बातें घूम रही थी, जिसका एक छोटा सा उदाहरण उसने पेश भी कर दिया था।
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