दो लोगो के मध्य, समय के आभाव और एक दूसरे को समझ न पाने की कारण आती, रिश्तों में कड़वाहट को दर्शाती, य... दो लोगो के मध्य, समय के आभाव और एक दूसरे को समझ न पाने की कारण आती, रिश्तों में ...
मैं कुछ कह ना पाई, आँसू छुपाते बाहर निकलते हुए सोच रही थी - क्या इसी दिन के लिए मां-बाप बच्चों को लं... मैं कुछ कह ना पाई, आँसू छुपाते बाहर निकलते हुए सोच रही थी - क्या इसी दिन के लिए ...
दादी के जाने के बाद नलिनी उस सपने के बारे में सोचती है। दादी के जाने के बाद नलिनी उस सपने के बारे में सोचती है।
आखिर गांव की कोठरिया की भी देखभाल करने वाला कोई चाहिये कि नहीं आखिर गांव की कोठरिया की भी देखभाल करने वाला कोई चाहिये कि नहीं
उस ऊंची दीवार के सामने पहुंचते ही वीरेशा के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उस ऊंची दीवार के सामने पहुंचते ही वीरेशा के पैरों तले की जमीन खिसक गई।