निभा की गम्भीर आवाज ने नीलेश को अंदर से रुला दिया। निभा की गम्भीर आवाज ने नीलेश को अंदर से रुला दिया।
लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
सभी अजूबों को देखने और चम्मच में तेल की दो बूंदों को कभी नहीं भूलना है।" सभी अजूबों को देखने और चम्मच में तेल की दो बूंदों को कभी नहीं भूलना है।"
और ब्रेड से उसकी तली भी साफ़ कर दी, और चम्मच भी चाटकर साफ़ कर दिया। और ब्रेड से उसकी तली भी साफ़ कर दी, और चम्मच भी चाटकर साफ़ कर दिया।
तभी चम्मच ने टनटनाते हुए कहा, तू तो रहने ही दे, लोग ऐसे ही नहीं कहते कि बैंगन चाहे कितना भी सुंदर हो... तभी चम्मच ने टनटनाते हुए कहा, तू तो रहने ही दे, लोग ऐसे ही नहीं कहते कि बैंगन चा...
सड़कें बिलकुल आवारा होती हैं घर के बाहर भटकती रहती हैंं! सड़कें बिलकुल आवारा होती हैं घर के बाहर भटकती रहती हैंं!