संस्कृति

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डॉक्टर अरविंद शुरू से महत्वकांक्षी थे। या शायद अति महत्वकांक्षी थे। थोड़ा बहुत इतिहास पढ़ने से ऐसा मालूम होता है। पहले भारत से उच्च शिक्षा के लिये लोग लंदन जाते थे और डिग्री लेकर वापस लौट आते थे।

फिर दौर आया जिसमें देश में शिक्षा के साधन बढ़े और पढ़े लिखे महत्वकांक्षी लोग नौकरी के लिये विदेश जाने लगे। ऐसे लोगों का तीर्थ अमेरिका हो गया। आगे डॉलर के आकर्षण ने ऐसा बांधा कि बहुत से लोग वहीं के होके रह गये और वे तब खुश भी थे।

अरविंद के साथ ही ऐसा था? या शायद सबके साथ ऐसा होता है बढ़ती उम्र एक अवस्था के बाद पीछे मुड़ कर ज़रूर देखती है। और व्यक्ति अपनी जड़ों की ओर लौट जाना चाहता है।

शायद अरविंद इसी अवस्था से गुज़र रहे थे। अरविंद और उनकी पत्नी शीला ने भरसक बच्चों को अपने संस्कार देने की कोशिश की थी। किन्तु उनके पुत्र पुत्री जॉली और रीटा कभी कभी उन्हें अपरिचित से लगते थे। रहन सहन, भाषा, बोलने का अंदाज़ सभी कुछ तो अलग हो गया, एक दिन रीटा ने बताया वह अपने एक अमेरिकन सहकर्मी माइक से शादी करना चाहती है। डॉक्टर अरविंद काफी हद तक आधुनिक और उदार थे। उन्होंने अनुमति दे दी और बड़े अच्छे तरीके से रीटा और माइक की शादी सम्पन्न हो गयी, सब लोग खुश थे। डॉक्टर अरविंद के लिये पुत्री की खुशी से बढ़कर कुछ न था किन्तु कई दिनों तक उन्हें ऐसा लगता रहा जैसे वो अपनी संस्कृति की पूर्ण रक्षा नहीं कर सके।


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