Sarita Kumar

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि

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ब्रह्मांड का यह पहला प्रेम विवाह जो सफल हुआ और आज भी श्रेष्ठ माना जाता है। प्रेम तो बहुत से देवी-देवताओं ने किया था लेकिन सफल प्रेम और वैवाहिक बंधन में बंधने वाला यही एकमात्र युगल जोड़ी है जो सदियों से पूजे जाते हैं और पूजे जाते रहेंगे। श्री कृष्ण ने भी महान प्रेम किया था और राधा ने भी अद्वितीय प्रेम किया लेकिन उनका प्रेम सफल वैवाहिक बंधन में नहीं बंध सका था। यद्धपि आखिरी सांस तक दोनों एक-दूसरे के प्रेम में भींगे रहे ‌ संसार में राधा-कृष्ण की जोड़ी बहुत प्रसिद्ध है और पूजे भी जाते हैं। लेकिन हमारे लिए उनकी जोड़ी आदर्श नहीं बन सकती है और ना ही अनुकरणीय है। हम लोग तो शिव पार्वती की जोड़ी को ही सम्पूर्ण जोड़ी मानते हैं और विधिवत शिव पार्वती की ही पूजा, अर्चना, उपासना और व्रत करते हैं। हरितालिका तीज व्रत भी हम अपने सुहाग की रक्षा और शिव पार्वती जैसी जोड़ी बने रहने का आशीर्वाद मांगते हैं।

 

आज का यह महा शिवरात्रि का पावन दिवस मेरे लिए अति विशिष्ट है क्योंकि आज ही के दिन मेरे होने वाले पति ने शिव मंदिर में प्रथम मिलन की इच्छा जताई थी। हम दोनों एक दूसरे को एक माध्यम से जानते थे। श्रीमान जी की भाभी मेरी दीदी थी और हम दोनों के बीच की सबसे मजबूत कड़ी। वो श्रीमान जी से अपनी एक बहन की बहुत तारीफ करती थी और मुझसे अपने देवर की ....। इस तरह उन्होंने हम दोनों के मन में एक दूसरे के लिए आकर्षण पैदा कर दिया था। और उनके पिता जी ने पुरजोर कोशिश की हम दोनों को संसार के सबसे पवित्र बंधन में बांधने के लिए। जिस दिन पता चला कि मुझे देखने और मिलने के लिए शिवरात्रि का दिन तय हुआ है मैं उसी दिन आश्वस्त हो गई कि हमारा मिलन भोले नाथ की मर्जी है तो यह मिलन होकर रहेगा और हमारी जोड़ी आदर्श जोड़ी बनेगी शिव पार्वती जी की तरह। 

खैर ... कुछ औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। समय सुनिश्चित हुआ हम सभी तैयार होकर निकले गरीबों के नाथ भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर गरीब स्थान मंदिर मुजफ्फरपुर बिहार में। वहां पहुंच कर पूजा पाठ का अभिनय करना पड़ा ताकि दूर से देख लें वो लोग और पसंद आ जाऊं तब सामने आकर बात चीत होगी नहीं तो हम लोग अपने अपने घर लौट जाएंगे। मुझे तो मालूम था कि इनडायरेक्ट वो लोग देखने आए हैं तो कहीं न कहीं से देख रहे होंगे। मेरे जीवन का यह पहला अनुभव था अपनी नुमाइश का इसलिए निडर, बेख़ौफ़ और बिंदास थी। यद्धपि मेरी दीदी, भैया और भाभी ने खूब सिखाया था कि चुपचाप रहना सर झुका कर बैठी रहना। वो लोग जितना पूछे बस उन बातों का ही संक्षिप्त उत्तर देना और धीरे से मुस्कुराना। नजरें नीची रखना। घर पर तो मैंने बिल्कुल आज्ञाकारी बच्ची की तरह सब कुछ स्वीकार लिया और वादा भी किया की ठीक से रहूंगी, आप लोगों की सभी बातें मानूंगी, आंखों का इशारा समझ कर व्यवहार करूंगी। लेकिन मंदिर में पहुंच कर पूजा करने के बाद जब भाभी ने एक तरफ बुलाया और मिलवाया एक सासूमां एक जेठानी और एक ननद थी मैंने हाथ जोड़कर नमस्ते किया फिर हम सब एक जगह बैठें। गपशप शुरू हुई। जेठानी ने कहा "बबुआ जी लम्बे बाल बहुत पसंद है खुश हो जाएंगे।" मैंने स्माइल देकर थैंक्यू कहा, फिर ननद ने कहा "आवाज इतनी मीठी है कि बात करके ही सुकून मिल जाएगा।" मैंने कहा "नहीं तो सब लोग कहते हैं मैं बहुत बकवास करती हूं टन टन बोलती रहती हूं यहां आने से पहले सभी ने मना किया था कि जोर से मत बोलना इसलिए धीरे धीरे बोल रही हूं। आप मेरे कॉलेज में आइएगा फिर असलियत पता चलेगी। " सब लोग हंसने लगे फिर होने वाली सासूमां ने कहा कि जरा सा भी डरी सहमी नहीं लग रही है मालूम है तुम्हें लड़का वाले देखने आएं हैं ? मैंने कहा तो ???? फिर उन्होंने कहा "वो तुम्हें पसंद भी कर सकते हैं और नापसंद करके छोड़ भी सकते हैं।" मैंने कहा "ये लड़के वालों की प्रोब्लम है, मेरा तो घूमना फिरना मिलना जुलना हो गया और मुझे अच्छा लगा मिलकर। " मेरे इस बात पर ठहाके लगाते हुए उन्होंने कहा "हां भई सच में ये तो लड़का वाले का प्रोब्लम है ऐसी मनमोहनी गुड़िया छोड़ कर जाएंगे तो जीवन भर पछताएंगे।" मैंने फिर सवाल किया आपको कैसे पता मेरा नाम "गुड़िया" भी है मैंने तो आपको "सरिता" बताया है ? वो फिर से हंसने लगी बाकी सभी हंसने लगे मेरी ननद ने कहा "भाभी ऐसे ही हंसते रहिएगा मेरे घर आकर भी।" पहली बार भाभी सम्बोधन सुनकर मन पुलकित हो गया और मैंने थैंक्यू भी बोल दिया। हम बिंदास गपशप कर रहें थे मुझ बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि दूर से कोई मुझे देख रहा है और खुश भी हो रहा है। मेरी जेठानी ने कहा "जब सारिका जी ने भाभी बोल ही दिया है तो जरा भैया को भी देख लो।" लेकिन मेरी नज़र नहीं उठी बहुत कोशिश किया मन को मनाया लेकिन नहीं देख सकी। मुंह मीठा कराया गया और मुझसे भाभी ने कहा पांव छूकर आशीर्वाद ले लीजिए सासूमां और जेठानी से। मैंने पांव छूकर प्रणाम किया और फिर वो लोग चले गए। उनके जाने के बाद भैया और दीदी ने मंदिर में ही डांटा की मना किया गया था की बकबक नहीं करना, नजरें नीची रखना और धीरे से मुस्कुराना और तुमने सब कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया। वो लोग तो चले गये तुम्हारे हाथ पर सगुण का एक सिक्का तक नहीं दिया। इसका मतलब उन लोगों ने पसंद नहीं किया है। मैं सहम सी गई और चुपचाप सुनती रही। भाभी ने कहा चिंता मत कीजिए वो लोग लौटकर आएंगे ....। फिर हम लोग भी घर लौटने लगे तभी आवाज देकर रोका किसी ने और सासूमां चल कर आई मेरे हाथ कुछ नोट पकड़ा कर बोली "यह जरूरी है बाकी नेग तो बाकी है जल्दी ही इंगेजमेंट की तारीख पक्की होगी। " मैंने उनके हाथों में ही नोट गिन लिएं थे। और बंद मुट्ठी दिखा कर भाभी को बताया की खोलूंगी तो पांच सौ सौ के नोट और एक सिक्का होगा। भैया दीदी सब हंस पड़े कहने लगे "इसका कुछ नहीं होगा, सुधरेगी नहीं।" एक और संदेश मिला की लंच पर श्रीमान जी बातचीत करना चाहते हैं। हम सभी तय स्थान पर पहुंच गये। श्रीमान जी पहले से उपस्थित थें लेकिन यहां पहुंच कर भी मिल नहीं सकी। डेढ़ महीने बाद हमारी शादी हो गई और ससुराल पहुंच कर ही देखा अपने पति परमेश्वर जी को 

29 साल हो गए हर साल महा शिवरात्रि को वो पहला मिलन याद आता है जो हो ही नहीं सका था मगर यादें बेहद रोमांचित करने वाली है। भोलेनाथ पर हमारा अटूट विश्वास आज भी कायम है और उनके आशीर्वाद से हमारी जोड़ी सचमुच "आदर्श जोड़ी " कहलाती है। आठ दस बार हमें आदर्श जोड़ी का खिताब मिल चुका है अलग-अलग मंचों पर। अपने गांव, अपने रेजिमेंट, अपनी सोसायटी में भी आइडियल कपल का खिताब मिला है। अब तो बच्चों के महफ़िल में भी हम आइडियल कपल, आइडियल पैरेंट्स के खिताब से नवाजे जाते हैं। परम पिता परमेश्वर भोलेनाथ की कृपा सम्पूर्ण संसार पर बना रहे और हम हर साल इसी तरह महा शिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाते रहें।


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