Rashmi Sinha

Others

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Rashmi Sinha

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मां ने जीना बच्चों से सीखा

मां ने जीना बच्चों से सीखा

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आज कुसुम के खुशी का अंत नहीं है। जीवन में सुकून ही सुकून लग रहा है, मानों किसी बच्चे की ज़िद पूरा हुआ हो। आज उसके आंखों में नींद कहां ॽ सो छत पर जा खड़ी हुई और आज ठंडी ठंडी हवा अच्छी लगी। उसने चांद की ओर देखा मानो चांद ने मुस्कुरा कर कहा ॔ ख़ुश हो न। ॓ कुसुम ने कहा ॔ हां , दुनिया की सारी खुशियां मेरी झोली में है। ॓ कुसुम के दोनों बच्चे अपने जीवन में व्यवस्थित हो गए। कुसुम के जीवन का उद्देश्य पूरा हो गया। मां बाप के जीवन का उद्देश्य यही तो होता है। कुसुम का पति सुमित भी खुश हैं। उसने भी अपने बच्चों के लिए बहुत परिश्रम किया है। ये पति-पत्नी एक छत के नीचे रहते हुए भी अजनबी है। इसलिए मन‌ का एक कोना खाली है।

उसे वो कठिनतम समय याद आया।उस रात को सुमित देर से आया और उसे देखते ही सुमित ने कुसुम के चरित्र पर बेहूदा आरोप लगाया । कुसुम चकित रह गई, जो सीधा सरल और निश्कलंक जीवन बिताया हो उसे ऐसे शब्द सुनने को मिले,उसकेआंसु निकल आए। तुरंत ही ध्यान आया कि कोई सुन न ले। उस समय यही समझ आया कि सुमित को शांत करना है । उसे शांत करने के लिए आत्मसम्मान खोना पड़ा, ये उसे बहुत अखर गया। सुमित को मुश्किल से खाना खिलाया और खुद बिना खाए बिस्तर पर लेट गई। अपने आप को निसहाय और अकेला महसूस किया। पुरा घर निश्चिंत सो रहा है। सुमित की ओर देखा उसके चेहरे पर विजयश्री की चमक थी। ये सच है कि जीत तो हुई है उसका उद्देश्य पूरा हुआ है। पर मैं हारी नहीं हुं मेरे आंखों में आंसु है जो गहरे दर्द से सराबोर है। सुमित तुमने शादी के 12 सालों में जख्म दिए, मैंने सहा है इस उम्मीद से कि कभी तो तुम समझोगे। पर तुम तो बेबुनियाद आरोप लगा कर ये नासूर जख्म दे दिए। अब सारी उम्मीदें खत्म हो गई। सुमित आरोप के साथ ही हमारे रिश्ते खत्म कर दिए।

   दरअसल आज मेरे मायके के मोहल्ले से मिहिर आफिस के काम से आया था सो उसने सुमित को फोन किया और सुमित ने ही मुझे जानकारी दी। एक भाई की तरह आया । परिवार के बीच बैठ बातें की, सुमित का इंतजार किया और उसने अनदेखा कर दिया तो मिहिर तुरन्त चला गया। मिहिर मेरा सहपाठी और राखी भाई का रिश्ता रहा है। शादी के बाद भी मैं राखी भेजती थी, जिसे सुमित पोस्ट करता। कई बार दोनों की मुलाकात हुई है। आज 20 के बाद ऐसी बातें समझ नहीं आता। 

  याद आ रही है वो दिन मिहिर की शादी मेरी शादी के 2 साल पहले हुई थी उसकी शादी में हम दोस्तों ने खूब मस्ती किए । उसकी पत्नी शुभा बहुत सुंदर है, उसकी सरकारी नौकरी है अभी पदोन्नति में आफिसर है।और वो भी हमारी अच्छी दोस्त हैं। हमारी 8 दोस्तों के समूह में वो भी शामिल है। मेरी खुशी में मेरी मां शुभा को बहू मानती। जब मेरी सगाई हुई तब मेरी खुशी में मेरे दोस्त सहभागी बनें। तभी 31 दिसम्बर आया तब हम दोस्त फिल्म देखने गए थे, पर फिल्म शुरू होने में समय था, सो हम लड़कियां वेटिंग हाल में बैठकर चित्रहार देखने लगे वहीं पर लड़के खड़े होकर गप्पे लड़ाते रहे किसी को भी समय का ध्यान नहीं रहा। तभी टाकीज के मेनेजर ने कहा कि ॔ इसे बाद में देखना अभी फिल्म देख लो। ॓ हम सब भागे। आज भी हंसी आती है। घर आकर हमने बताया तो सभी खूब हंसे , मां ने कहा कि ॔ तुम लोग कभी बड़े नहीं होगे, बच्चे के बच्चे ही रहोगे। ॓ फिर सभी ने कहा कि ॔ इसके बाद कुसुम पहली जनवरी सुमित के साथ मनायेगी,कल हम‌ सब पास ही वन्य अभ्यारण में घूम आए, बस 3-4 घंटे में वापस आ जायेंगे। इजाजत मिल गई। दुसरे दिन हम 15-16 लोग वन्य अभ्यारण के लिए स्कूटर , बाइक से निकले । मैं अपने भाई के साथ बाइक से निकली। जब घर से निकले तब मौसम अच्छा था । पर आगे बढ़ते ही बारिश शुरू हो गई। कोई भी वापस लौटने को तैयार नहीं था, सभी बारिश का आंनद ले रहा था। वहां पहुंच कर देखा, बहुत ही खूबसूरत नजारा था, बारिश की बूंदें पेड़ पौधों के बीच से गिरते और मोर का नाच।हम अपने आप को रोक नहीं सकें, खुब डांस किए। उस समय मैंने सुमित बहुत याद किया। मैंने भगवान से प्रार्थना की थी कि ॔ हम दोनों का जीवन इसी तरह खुबसूरत हो, हंसते गाते जीवन बीत जाये। ॓ 

शादी के बाद मायके गई तब सभी दोस्त मिलने आए तब मिहिर ने कहा कि ॔ देखना, जब सुमित को पसंद होगा तभी हम दोस्त सम्पर्क रखेंगे। ॓ मैंने सुमित से सारी बात बताई थी। तब उसने दिलेरी दिखाई और बड़ी बड़ी बातें की। ये सही है कि सुमित बहुत अच्छा इंसान है। सभी उसे पसंद करते हैं है भी तो सुलझा हुआ। पहले मेरे साथ भी उसके व्यवहार अच्छा था। परन्तु धीरे धीरे न जाने क्या हो गया। ये आरोप मिहिर पर भी तो है । जब शुभा और बच्चों को पता चलेगा तो क्या सोचेंगें। कहां मूंह छिपाऊं, काश धरती में समा जाती। मैं क्या करूं समझ नहीं आ रहा है ॽ मुझसे कहां पर गलती हो गई ॽ 

   कुसुम ने सोचा कि ससुराल के वातावरण में अपने आप को ढाल ली, सुमित के कहने पर उसने नौकरी छोड़ दी थी, कितने अरमानों से नौकरी की थी। तब भी बहुत रोई थी। जितनी बार आंखें बंद की उतनी बार सुमित का आवाज गूंजा ॔ क्या लगता है तुम्हारा, कब से चल रहा है ये सब। ॓ मां पापा को पता चलेगा तो वे बेमौत मर जायेंगे और बच्चों को पता चलेगा तो उनकी मुस्कान छीन जाएगी। सोचते सोचते सुबह हो गई। तभी सास ने आवाज लगाई ॔ कुसुम चाय देना। ॓ कुसुम का उठने का बिल्कुल मन नहीं था पर उठकर घर के काम में व्यस्त हो गई। 

      कुसुम का मन बैचेन रहने लगा। कुछ अपराध बोध, शर्मिंदगी और पूरी तरह से ख़ाली महसूस करती। अपने आप से बातें करती। गुमसुम सी हो गई। धीरे धीरे बच्चे भी चुप से होते जा रहे थे। उनकी पढ़ाई प्रभावित होने लगी। समय बीतता गया तभी एक दिन कुसुम और बच्चे घर पर अकेले थे , बाकी लोग पूरे दिन के लिए बाहर गए थे । कुसुम के बेटे ने म्यूजिक सिस्टम में गाना लगाया फिर दोनों बच्चे डांस किया। बेटी ने कहा कि ॔ मम्मा हम लोग बहुत दिनों से डांस नही किए हैं। चलों न डांस करते हैं! बेटे ने कहा कि ॔ हां मां आप रोती हैं तो अच्छा नहीं लगता। पहले जैसी क्यों नहीं है। ॓ बच्चों के मुंह से बातें सुन कर कुसुम घबड़ाई कि मैं अपने बच्चों के साथ क्या कर रही थी। कुसुम आंसु पोंछ खड़ हो गई और बच्चों के साथ खुब मस्ती की। बेटे ने कहा कि ॔ मां आप ऐसे ही रहा करों न। ॓ कुसुम ने कहा कि ॔ मैं बस तुम्हारी मां हूं और मां ही रहूंगी। ॓ इसके बाद कुसुम कभी उदास हुई भी तो बच्चों ने तुरंत कहा कि ॔ नही मां। ॓ 

     कुसुम को छत पर खड़े देख दोनों बच्चे भी आ गए और दोनों ने कहा कि ॔ ऐसे ही रहा करों न । ॓ चांद ने मुस्कुरा कर शीतल चांदनी बिछा दिया और हवा धीमी धीमी बहने लगीं।



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