Sarita Maurya

Others

3.1  

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ईमानदार चोर

ईमानदार चोर

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संजू को दनादन डंडी पड़ रही थी। और वह रोते-रोते पूरे छप्पर के नीचे नाच रहा था। अरे अम्मा अब न मारो, अरे अम्मा अब ग़लती नहीं होगी। अम्मा माफ़ कर दो। बोल फिर चोरी से मिठाई खायेगा? फिर दूसरों का हिस्सा खयेगा? सब्र नहीं कर सकता था। डेढ़ किलो मिठाई खा गया! चल कान पकड़। अम्मू ने फिर उसके पैर पर डंडी मारी। कितनी सख़्त हो जाती थीं गलती पर। एकदम पुलिसवालों की तरह। संजू को भी अम्मू इस समय पुलिस जैसी ही दिख रही थीं। वह जानता था कि अगर पिटने से बचने के लिए भागने की ग़लती की तो अम्मू का निशाना इतना अचूक था कि वे डंडा फेंक कर मारेंगी और वह फंस कर गिर पड़ेगा। फिर तो उसकी डबल धुनाई होगी। और साथ ही एक कहावत मुफ्त में मिलेगी ‘एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी’’ भाग के दिखाओ बेटा। आज वो दिल से कसम खा रहा था कि आज के बाद बिना अम्मू की इजाज़त के वह कुछ भी नहीं छुएगा। अब करता भी क्या ग़लती तो हो चुकी थी। वो करता भी क्या मिठाई थी ही इतनी स्वादिष्ट ऊपर से अम्मू को मेले से मिठाई लाये 2 दिन गुजर चुके थे। उनके पास काम के आगे इतना समय ही नहीं रहता था कि सारे बच्चों को इकट्ठा करके मिठाई बांट दें। कभी खेत, कभी मज़दूर, कभी गाय, बैलों की देखभाल तो कभी बाजार। अब मिठाई की खुश्बू सबसे ज्यादा संजू को ही तंग करती थी। सीधी नाक में घुस जाती और उसके मुँह में पानी आने लग जाता।

अम्मू ने फिर एक संटी चटकाई ‘नालायक हम कहित है कि ईमानदार बनो, अउर ई चोरी करै सिख रहे हैं, करौ चोरी आज के बाद करौ चोरी’। बताओ छोड़िहो कि नहीं? फिर एक पैर पर संटी, अब आज पूरे दिन खाना नहीं, पानी नहीं, बस सुधर जाओ। फिर संटी! संजू रो रोकर माफ़ी मांगने लगा। अरे अम्मू बस करो। पास खड़े बीच वाले भैया से संजू की पीड़ा नहीं देखी गई, और वो धीरे से बोले ‘अम्मू संजू मिठाई नहीं खाइन, मिठाई तो हंडिया से निकारि कै हम खावा है।" अम्मू गरजीं दूर हटो हम जानित है यू नालायक तुम्हार बड़ा दुलारा है बेटा तुम ईका बचाय रहे हो।

‘‘नही अम्मू आप इतनी बढ़िया मिठाई रखी रहीं कि बरफी देख के रूका नहीं गवा’’ भैया फिर बोले। अब तो अम्मू ने आव देखा न ताव और भैया को दो थप्पड़ जड़े ‘नालायक वो इतनी देर से पिट रहा है और तुम देख रहे हो, हैं अच्छी बात सिखावे की जगह खुद मिठाई पर हाथ साफ किये? ?? भैया भी अम्मू की मार खाकर कूदने लगे! अरे अम्मू अब न करबै अरे अम्मू माफ़ कर दो। अब तक भौचक खड़े संजू को जैसे कुछ समझ आया -‘‘अरे नहीं अम्मू भैया तो थोड़ी ही मिठाई खाये हुइ हैं, ज्यादा मिठाई तो हम खावा है। पांच-छः बार मटकी खोली है’। अम्मू का हाथ वहीं रूक गया। उनकी हँसी छूट गई वो समझ नहीं पा रही थीं कि वे इन दोनों ईमानदार चोरों का क्या करें?


उन्होंने डंडी दूर फेंक दी और दोनो नन्हे मिठाई चोरों की तरफ देखने लगीं। बदमाशों चलो तुम्हें जीभर के मिठाई खिलाती हूं। उल्टे-सीधे काम मत किया करो। चोरों की ईमानदारी और एक दूसरे के प्रति स्नेह को देख कर अम्मू की हँसी और प्यार दोनों फूट पड़े।  



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