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Sarita Maurya

Children Stories

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Sarita Maurya

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गौरा और मटको बॉस

गौरा और मटको बॉस

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गौरा बड़े असमंजस में थी! समझ नहीं पा रही थी कि वह अपनी लगी लगाई नौकरी को छोड़े या नहीं। एक तरफ बेहतर पैकेज और तरक्की बुला रहे थे तो दूसरी तरफ कम ही सही लेकिन लगातार पैसा उसे मिल रहा था। ऐसे में लंबू जिराफ ने उसे ढाढस बंधाया और बोला ‘‘ अरी गौरा अगर कम नौकरी में अच्छा पैसा मिल रहा है तो भी तो वही बात होगी न’! इंटरव्यू के दौरान मटको लोमड़ी बॉस की आत्मीयता ने उसे अभिभूत कर दिया। लोमड़ी बॉस ने गौरा से कहा कि बस उसे दिल लगाकर काम करना होगा। ईमानदारी से काम करने पर न तो उसे काम की कमी होगी और न ही पैसों की।

गौरा अपनी नई नौकरी और इतनी अच्छी बॉस पाकर बहुत खुश थी। ईमानदार गौरा मन लगाकर काम करती थी, चाहे उसे जंगल के जानवरों की मीटिंग करनी हो या किसी का इलाज करवाना हो। यदि लोग उसका साथ नहीं भी देते तो भी वह बुरा नहीं मानती थी। यहा तक कि अपने काम को कम ही प्रस्तुत करती ताकि किसी को ये न लगे कि वह अपनी बड़ाई करती थी। भोली गौरैया हर बार अपनी हर बात सच्चाई से लोमड़ी को बता देती। उस बेचारी को पता ही नहीं चला कि धूर्त लोमड़ी तो उसकी ईमानदारी को भी उसकी कमियां के तौर पर ही ले रही थी। 

समय बीत रहा था, गौरा अपनी मेहनत और लगन से काम कर रही थी कि उसी बीच चटकू उल्लू को भी उसी ऑफिस में काम मिल गया। चटकू उल्लू नया लेकिन होशियार था। उसने धीरे-धीरे गौरा से दोस्ती की और काम की सारी बारीकियां सीख लीं। उधर मटको लोमड़ी को धीरे-धीरे गौरा की ईमानदारी खटकने लगी थी। वह गौरा को हटाने का बहाना ढूंढने लगी। अंततः उसे उपाय सूझ ही गया। उसने चतुर चटकू उल्लू को गौरा से सबकुछ समझ लेने को कहा। इधर चटकू का प्रशिक्षण पूरा हुआ उधर मटको बॉस ने गौरा को ऑफिस में तलब किया। मटको ने अपने साथ कट्टू सियार को भी बिठा लिया जो कि मटको की जी हुजूरी में लगा रहता था और वही करता था जिससे कि उसका और उसके जानने वालों का भला हो। बड़े ही शातिराना तरीके से गौरा की मटको बॉस पैंतरा बदल चुकी थी। बॉस ने गौरा से कहा कि क्या वह पड़ोसी कालेवन से जाकर पैसे इकट्ठा कर लायेगी, क्योंकि मटको किसी अन्य पर इस काम के लिए भरोसा नहीं कर सकती थी। गौरा को लगा कि जो काम मटको बॉस स्वयं नहीं कर पाई थीं वह उसे करने के लिए दे रही थीं यानी उसे अत्यधिक स्नेह करती थीं। गौरा कालेवन में जा पहुंची और वहां के कंटाल गिद्ध बॉस से अपने ऑफिस की रकम मांगने के लिए। शातिर बुद्धि वाले कंटाल गिद्ध बॉस ने बेचारी गौरा को एक महीने तक लटका कर रखा किन्तु पैसे नहीं दिये। हैरान परेशान गौरा बार-बार प्रयास करने के बावजूद कंटाल गिद्ध से पैसे नहीं निकलवा पाई। और वापस आकर मटको बॉस को पूरी दास्तान कह सुनाई। 

मटको बॉस ने पूरी सच्चाई सुनने के बाद गौरा को नोटिस थमाते हुए बताया कि उसे नौकरी से निकाला जा रहा था क्योकि वह अपने काम में सफल नहीं हुई थी। गौरा बेचारी समझ नहीं पाई कि उसकी मेहनत और ईमानदारी सिर्फ एक कमी के आगे हार गये थे, और काम की सराहना तो दूर मटको ने उसकी मेहनत का पैसा भी मार दिया था। उसपर तुर्रा ये कि पूरा काम नहीं तो पूरा दाम नहीं। गौरा अभी भी सोच रही थी कि क्या ये वही प्यारी सी मटको लोमड़ बॉस थीं जिन्हें गौरा कि मेहनत और ईमानदारी पर पूरा भरोसा था, और जिन्होंने उसे भरोसा करने के लिए कहा था। 

गौरा अपने बच्चों के आगे चींची..करके रो रही था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी एक असफलता ज्यादा भारी क्यों पड़ गई और उसकी बाकी मेहनत फीकी कैसे पड़ गई? 

उदास गौरा को उसके छोटे चींचीं ने समझाया ‘‘ मां, ये दुनिया मटको लोमड़ और कंटाल गिद्धों से भरी पड़ी है! खुद को बदलो और समय के साथ चलो’’। सीधी सादी गौरा समझ नहीं पाई कि खुद को बदलो पर कैसे, क्या कभी किसी से कोई गलती नहीं होती? यदि मटको बॉस की मित्र गलती करती तो मटको बॉस क्या उसे भी यही सजा देती? पर नौकरी तो जा चुकी थी और मटको बॉस को गौरा की सोच से कोई फर्क नहीं पड़ता था।



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