दादी की कहानियां
दादी की कहानियां
गांव में रानी और रवि दादी दादा के पास आए हुए थे । बारिश का महीना था। शाम ढल रही थी, गांव में बिजली नहीं आ रही थी इसीलिए सभी दालान में बैठे थे। अचानक कुछ चमकती चीज उड़ती छोटी रानी को दिखाई दी।
"वो क्या है दादी", रानी ने पूछा। दादी ने कहा _बेटा , ये जुगनू है।
, इसमें तो कुछ जल रहा दादी और रवि जुगनू के पीछे दौड़ने लगा। शहर में कभी जुगनू नहीं देखा था। आखिर उसने एक जुगनू पकड़ लिया।
दादा जी ने कहा _ चलो , बच्चे तुमको जुगनू के बारे में बताते हैं, अभी तुम ज्यादा समझ नहीं पाओगे, लेकिन तुम्हारी दादी के दिमाग की बत्ती जल जाएगी , बेचारी जुगनू को देख विश ही मांगा करती थीं।
सब हंस दिए।
दादा जी ने दादी को छेड़ते हुए कहा _क्यों मुझे भी तुमने किसी जुगनू से विश में तो नहीं मांगा।
दादी शर्मा गई , कुछ भी बोलते हो।
बत्ती आ भी गई थी। रवि के हाथ से जुगनू उड़ गया था।
रवि ने कहा , _दिन में पकड़ लूंगा।
दादा जी हंसने लगे_जुगनू कीट हैं , ये ज्यादातर शाम और रात में दिखाई देते हैं।
इनमें एक तरह का प्रोटीन पाया जाता है जिसे बायोल्युमिनीसेंस कहते हैं ये ऑक्सीजन के संपर्क से ऑक्सीकृत हो रोशनी पैदा करते हैं। ये रोशनी पीली, नीली, हरी भी होती है। मादा जुगनू के पंख नहीं होते , जबकि नर जुगनू उड़ते हुए प्रकाशित रहते हैं।
तुमने शहर में इसे देखा था ??
दादा जी का शब्द धीमा हो गया , बोले अब धीरे धीरे ये हमारी नई पीढ़ियों ले लिए इतिहास बन जाएगा।
ये ज्यादातर , खुले स्थानों, जमीन, पेड़ की छालों, में अपने अंडे देते हैं। इनकी आंखे बड़ी और टांगें छोटी होती हैं।
ये हमारे लिए बहुत लाभदायक है, पेड़ के अंदर छुपे हानिकारक लार्वा, कीट को ये खा लेते हैं।
लेकिन अब ये धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं, खर पतवारों, और कीटनाशकों के ज्यादा प्रयोग से , जंगलों , पेड़ों के कटने से। मानवीय यातायात बढ़ने से।
रवि आराम से मुंह खोले बातें सुन रहा था।
रात को सोते वक्त रवि ने कहा , दादी अब कहानी सुनाने की बारी है।
दादी ने देखा , रानी को भी नींद नहीं आ रही।
दादी ने कहना शुरू किया।
पुराने समय की बात है , एक विधवा थी , उसका एक पुत्र था। विधवा दूसरों के घर बर्तन धो कर घर का खर्च चलाती थी।
जब बुधवा जवान हो गया , तो उसे मां का काम काज करना अच्छा नहीं लगता। उसने मां से कहा मैं परदेश जाऊंगा , और वहां से ढेर पैसा कमाऊंगा, फिर हमलोग आराम से रहेंगे।
बुधवा की मां , नही चाहती थी कि उसका पुत्र उसकी आंखों से दूर हो जाए।
रवि ने कहा _जैसे पापा , तुमको छोड़ चले गए थे।
दादी ने कहा_हां।
जब नींद आने लगेगी तो बता देना , मैं कहानी फिर दूसरे दिन सुनाऊंगी , जल्दी उठना भी तो है।
तुम सुनाओ मैं पूरा सुनकर ही सोऊंगा।
दादी बोली_बुधवा के जिद के आगे उसकी मां ने घुटने टेक दिए।
दूसरे दिन सुबह मां ने बुधवा के लिए रोटी और अचार बांध दिया। बुधवा ने एक , दो जोड़ी कपड़े गठरी मे बांधे और निकल पड़ा, काम की तलाश में।
पहले ज्यादा आने जाने के साधन नहीं थे, बैलगाड़ी या पैदल ही जाना पड़ता था।
बुधवा चल पड़ा। चलते चलते दोपहर हो गई । भूख लगने लगी , सामने एक पेड़ था , उसी के पास एक कुआं भी था। ये जगह उसे खाना खाने के लिए सही लगी।
वह पेड़ की छाव में बैठ गया।
कपड़े में लपेटी रोटी निकाला , रोटी की संख्या गिनी , देखा 7 रोटी हैं।
अब वो सोचने लगा कि, अभी पता नहीं कितना लंबा सफर हो, सारी रोटियां खा लूंगा तो , फिर आगे सफर में भूखा ही रह जाऊंगा।
इसी सोच विचार में , वो अपने आप से बातें करने लगा।
एक खाऊं, दो खाऊं, तीन खाऊं
कि सातों खा जाऊं।
इसी उधेड़बुन में वो, बार बार यही दोहरा रहा था।
उसी पेड़ में, सात चुड़ैल रहती थीं।
उन्होंने सुना तो वे डर गईं। छोटी चुड़ैल , बड़ी चुड़ैल के पास गई , दीदी ये तो कोई जिन्न, भूत प्रेत आदमी के वेष में लगता है।
इसे पता है , कि हम इस पेड़ पर हैं। ये हम सबको चुन चुन कर खा जाएगा । अभी फैसला कर रहा है शायद।
दीदी बचाओ ।
बड़ी चुड़ैल ने ढांढस बंधाया , वो खुद भी डरी थी , अपनी 2 बहनों को ले वह बुधवा के पास सुंदर स्त्री बन कर गई।
बुधवा अचानक अपने सामने तीन स्त्रियों को देख सकपका गया।
वो कुछ बोलता , उससे पहले वे बोलीं, हमे छोड़ दो। हमें न मारो , अब हम किसी को नहीं सताएंगे और उन्हें नहीं मारेंगे। तुम हमसे जो चाहो मांग लो, और हमें इसी पेड़ पर रहने दो।
बुधवा को बात बहुत हद तक समझ में आ गई थी। बुधवा की मां ने समझाया था कि पहले सामने वाले की पूरी बात सुन कर उसका मूल्यांकन करो , वस्तुस्थिति समझ कर ही अपनी बात रखो।
यहां वो समझ गया था कि ये आम स्त्रियां नहीं है । उसने समझदारी से कहा _मुझे भूख लगी है , मेरा इन रोटियों से कुछ नहीं होगा , मुझे तो तुमसब को मारना ही होगा।
नही नहीं_ वे चुड़ैल गिड़गिड़ाने लगीं।
दादी ने कहा _बुधवा ने सोचा , अगर मैं कोई ऐसी चीज मांग लूं , जिससे खाने की समस्या दूर हो जाए।
दादी ने देखा रानी सो चुकी थी, और रवि को भी नींद बहुत जोरों से आ रही थी। दादी ने कहा _आज की कहानी खत्म करती हूं, कल सुनना सो जाओ।
दिन भर घर के कामों में सभी व्यस्त रहे, सांध्य आरती के बाद बच्चे दादी से कहने लगे दादी , _आज तो कहानी पूरी करोगी।
दादी ने कहा , _ हां, क्यों नहीं। जल्दी खाना खा लेना । अभी रामायण आ रहा टीवी पर, देख लो। तब तक मैं और तुम्हारी मम्मी खाना बना लें।
रात को दादी बिस्तर पर आई , तो बच्चे पहले से तैयार बैठे थे।
रवि ने कहा _दादी बुधवा को चुड़ैल ने कुछ मांगने को कहा था। क्या मांगा बुधवा ने?_रवि ने कहा।
दादी कहने लगी_ बुधवा ने बहुत सोच समझ कर कहा , मुझे एक कटोरा चाहिए , जिससे मैं जो चाहूं , मांग लूं।
बड़ी चुड़ैल ने आंख बंद किया , तुरंत एक कटोरा उसके हाथ में आ गया।
उसने बुधवा को देते हुए कहा_इससे जो मांगोगे , वो तुम्हारे सामने हाजिर हो जाएगा।
ठीक है, बुधवा खुशी खुशी घर वापस चलने को तैयार हो गया।
शाम हो गई थी, पक्षी अपने अपने नीड़ में वापस लौटने लगे थे, बुधवा कटोरा पा फूला नहीं समा रहा था। अब उसे कमाने की क्या जरूरत, मनुष्य पेट के लिए ही मेहनत करता है । अब तो वो और उसकी मां आराम से जिंदगी काटेंगे।
चलते चलते रात हो गई , अब तो उसे कहीं रुकना जरूरी हो गया। एक दो घर ही थे रास्ते में उसके बाद घना जंगल , जहां जंगली जानवर और डाकुओं का खतरा था।
यही सोच, उसने एक घर का दरवाजा धीरे से बजाया।
अंदर से एक व्यक्ति ने पूछा , कौन है भाई?
एक राहगीर _बाहर बुधवा ने उत्तर दिया।
घर का दरवाजा खुला, एक व्यक्ति बाहर निकला।
बुधवा ने हाथ जोड़ते कहा_ बहुत रात हो गई है, क्या आप मुझे एक रात आश्रय देंगे?
उसने कहा _ठीक है , आप रुक सकते हैं।
घर में मेजबान , अपनी पत्नी के साथ रहता था।
उनलोगो के साथ बुधवा ने रात का खाना खाया। रात में मेजबान रामू ने अपना और बुधवा का बिस्तर एक साथ लगा दिया। फिर उसने पूछा , भाई इतनी रात को कहां से आ रहे थे ?
बुधवा को रामू भला लगा, वो उसने अपने साथ हुए पूरे घटनाक्रम का ब्योरा दे दिया कि, कैसे वो चुड़ैल से इच्छा पूर्ति कटोरा ले आया, जिससे उसकी गरीबी दूर हो जाएगी।
रामू की आंखें आश्चर्य से फैल गई, उसने कहा मुझे नहीं विश्वास होता। दिखाओ अपने कटोरे का जादू।
अति उत्साह में बुधवा तुरंत कटोरा सामने रख कर बोला_ओ मेरे कटोरे , रसगुल्ला प्रगट करो।
कहते ही कटोरा उसके सामने आ गया। सब देखते ही रह गए।
उसके बाद उन्होंने बहुत सारी चीज़ें मंगाई । फिर बुधवा कटोरा अपने कपड़ों के बीच रखकर सो गया। रामू भी उसके साथ सोने का दिखावा कर लेट गया।
रामू और उसकी पत्नी की नींद कोसों दूर थी।
दिन भड़का थका बुधवा गहरी नींद के आगोश में था।
रामू धीरे से उठा , और उसने बुधवा का कटोरा बदल दिया।
पौ फटते ही आदित्य ने अपनी पहली लाली बिखेरी , बुधवा जाग गया , उसने रामू को जगाया और जाने की अनुमति मांगी।
रामू और उसकी पत्नी ने उसे विदा किया। विदा करने के बाद , वे दोनों खुशी से नाचने लगे, अब हमारे अच्छे दिन आ गए, रामू की पत्नी बोली। कैसा मूर्ख बनाया हमने।
इधर बुधवा खुशी खुशी घर पहुंचा, मां ने उसे देखा तो हैरान रह गई और किसी अनजानी शंका से घिर गई ।
उसने कहा _तू इतनी जल्दी कैसे?
मां अब मुझे नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं , अब तू और मैं ऐश से घर में रहेंगे।
अरे करम जले , ऐश करेंगे , बुधवा की मां खीझ रही थी , उसने कहा खाना क्या भूत दे जाएगा।
अरे हां मां , अब भूत ही देगा खाना , हा हा हा _बुधवा हंसने लगा।
मां का गुस्सा बढ़ रहा था _रुक तनिक डंडा ले आऊं, तुझपर लगता है किसी भूत , प्रेत का साया है।
रवि हंसने लगा। दादी , बुधवा को मार पड़ी क्या?
अरे नहीं दादी ने कहा।
बुधवा ने कहा _मां मुझे एक जादुई कटोरा मिला है , जिससे मैं जो भी चाहूं , प्रकट कर सकता हूं।
बताओ क्या खाओगी_बुधवा ने पूछा।
उसने मां को गुस्सा देख , पूरी कहानी बताई , तब मां ने कहा _खीर मांगा , इस कटोरे से।
बुधवा बार बार कटोरे से खीर लाने कहता , और उसमे कुछ भी नहीं आ रहा था।
मां ने कहा मैंने तुम्हारा नाम बुधवा , ऐसे ही नहीं रखा , तू सचमुच बेवकूफ है।
उस दिन बुधवा को बहुत दुख हुआ , और उन चुडैलों पर गुस्सा, उसे लगा उन्होंने उसे बेवकूफ बनाया होगा।
अगले दिन वह फिर जाने को तैयार हुआ, मां से 7 रोटी बनवाई , और निकल पड़ा।
उसी पेड़ के नीचे जा , उसने रोटी खाने का उपक्रम करते वही वाक्य दुहराए।
छोटी चुड़ैल , डर कर बड़ी के पास पहुंची, और कहने लगी , _दीदी वो आज फिर आया है , अब क्यों हमारे जान के पीछे पड़ा है।
बड़ी चुड़ैल , बुधवा के पास पहुंची । बुधवा बहुत गुस्से में था, उसने कहा _मैं तुम सबको खा जाऊंगा, तुमलोगों ने मेरे साथ छल किया है।
बड़ी चुड़ैल गिड़गिड़ाने लगी , _हमने तो तुम्हे सही में जादुई कटोरा दिया था, चलो आज मैं तुम्हे जादुई बकरी देती हूं, इससे जब तुम कहोगे_बकरी अशर्फी दे , तो ये तुम्हें अशर्फी देगी , जिसे बेच तुम धनवान बन जाओगे।
बुधवा बहुत खुश हुआ। पिछले दिन की तरह आज भी चलते चलते रात हो गई , उसने सोचा चलो अपने उसी मित्र के घर आराम कर लूं, यह सोच उसने रामू के घर का दरवाजा खटखटाया।
रामू उसको देख बहुत खुश हुआ, उसने कहा आज क्या लाए हो?कल वाले कटोरे ने जादू नहीं दिखाया क्या, ?
बुधवा निश्छल , उसने कहा _उन चुडैलो ने मुझे ठग लिया था , इसीलिए आज मैं उनसे लड़ने आ गया।
अच्छा, आज क्या दिया उन्होंने?, _ये बकरी दी है, जो अशर्फियां उगलती है।
उस दिन भी बुधवा के सोने के बाद रामू ने बकरी बदल ली।
बुधवा को घर पर मां की बहुत डांट मिली। उसके अंदर चुडैलों के प्रति आक्रोश भर गया , उसने सोचा अबकी आर या पार। इस बार मैं उनको भी घर लाऊंगा , और फिर उनसे जादू करवाऊंगा।
घर आते आते सबका जादू कैसे खत्म हो जाता है।
अगले दिन बुधवा चल पड़ा। पहुंच कर उसने वही वाक्य दोहराया, इस बार बड़ी चुड़ैल का माथा ठनका ।
उसने कहा मैं हर बार तुम्हें जादुई चीजे दे रही हूं, उसका जादू कैसे खत्म हो सकता है।
तुम ये बताओ , रास्ते में कहीं रुकते तो नहीं हो?
बुधवा ने कहा_हां एक दोस्त के घर, क्योंकि रात हो जाती है।
अब बड़ी चुड़ैल को सारा माजरा समझ में आ गया।
उसने बुधवा को एक छड़ी दी। और कहा _ इससे कहना छड़ी ओ छड़ी अपना कमाल तो दिखा।
छड़ी लेकर बुधवा वापस घर के लिए चल पड़ा। आज रामू को पक्का यकीन था कि बुधवा जरूर आएगा, क्योंकि बकरी ने तो कोई कमाल दिखाया नहीं होगा। वह रास्ता निहार रहा था।
बुधवा को देखते ही उसकी बांछे खिल गईं। तुरंत बुधवा को लेकर घर के अंदर आया, अच्छी आवभगत हुई। तरह तरह के पकवान परोसे गए।
फिर मौका देखकर रामू ने पूछा _दोस्त आज क्या लाए हो?
अरे क्या कहूं "दोस्त चुड़ैल ने आज ये डंडा दिया है, ये डंडा बहुत चमत्कारी है, सारे बिगड़े काम सही करवाता है।
अच्छा दोस्त , तू दिखाओ इसका कमाल_रामू ने कहा।
अरी भागवान, इधर आओ, बुधवा भैया आज डंडा लाए हैं, ये सब काम सही करवाता है_रामू चिल्लाया। उसकी पत्नी भी दौड़ी दौड़ी आ गई।
बुधवा ने डंडे को आदेश दिया_मेरे प्यारे डंडे , जरा अपना कमाल दिखा।
डंडे उछला, और रामू की पीठ पर कमाल दिखाने लगा। रामू चीखने चिल्लाने लगा , उसके बाद उसकी पत्नी पर भी डंडा अपना कमाल दिखाने लगा।
वे चिल्लाने लगे , बुढ़वा भैया , जल्दी अपने डंडे को वापस बुला लो, हम तुम्हारा सब सामान वापस करते हैं। बुधवा ने डंडे को वापस बुला लिया। दोनों पति पत्नी ने बुधवा का कटोरा, बकरी वापस कर दी, और बुधवा से क्षमा मांगी , कि हमने लालच में आकर पाप किया , तुम्हारी चीजें बदल दी। हमें माफ कर दो।
अगले दिन बुधवा खुशी खुशी अपने घर गया , और मां बेटे खुशी खुशी रहने लगे।
रवि ने कहा , वाह दादी मजा आ गया।
समाप्त
