चलो अब लौट चलें

चलो अब लौट चलें

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यह बात कही यामिनी के पति ने पर यामिनी का जवाब सुनकर अभिजीत कुछ देर तक सोचता ही रहा, यामिनी का जवाब था अब बहुत देर हो चुकी है वाकई देर तो बहुत हो चुकी है। अभिजीत और यामिनी ने कभी बहुत ही सुंदर सपने देखे थे काफी सुंदर समय बीताया पर कब धीरे यह सब बिखर गया पता ही नहीं चला। दोनो लिविंग संबध में ही थे, सब कुछ ठीक ठाक था सोच भी ठीक ही थी दोनो विवाह के संबध में नहीं बंधे चलिये ठीक ही है, चलो ना निभे तो अलग हो जाओ शायद ठीक भी है समय के साथ चलना ही चाहिये।

पहले दोनो कैरियर में लगे, जब कभी घर बसाने की बात हुई तो समय ही ना था एक दूसरे के लिये जब समय मिला तो दोनो अलग मुकाम पर सफल। पर दोनो नदी के दो पाट बस यही एक समय था अलग होने का, अलग हो गये बहुत ही खूबसूरती के साथ और यामिनी की खुशी भी यही थी पर जो भी हो कभी कभी अपने लिये जीना भी चाहिये और अभिजीत की इस बात की आओ अब लौट चले को शालीनता से ठुकरा दिया और यामिनी को यही लगा मानो सर ले टनो बोझा उतर गया वह गाने के बोल याद आते है कि चलो एक बार अजनबी बन जाये। फिर यही तो जीवन का फलसफा है कि तरूख बोझ बन तो भूलना बेहतर।


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