अथ श्री प्रवचन कथा....."

अथ श्री प्रवचन कथा....."

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आराम से बैठी थी मैं, सुख भोग रही थी फुरसत के पलों का।

सोचा, टीवी पर पसंद का सीरियल देखूँ, फिर सोचा नहीं,

एफ एम पर पुराने गाने सुनती हूँ।

आन किया तो किसी स्टेशन पर बड़ी धीर-गंभीर आवाज सुनाई पड़ी,

" सत्य क्या है, सत्य वह है जो असत्य नहीं है "

आवाज बुलंद थी,बड़ा ठहराव था, बहुत धीरे-धीरे, रूक -रूक कर बोल रहा था कोई।

"असत्य क्या है, मिथ्या है, मिथ्या क्या है, जो सत्य नहीं है "

अरे यह क्या ? कान लगा सुनने लगी, कोई बड़े ज्ञानी--ध्यानी महात्मा के अमृत वचन हैं....

" सत्य कभी मिथ्या नहीं होता, तो मिथ्या क्या होता है,

जो सत्य नहीं है, असत्य हमेशा मिथ्या होता है, सत्य.... हमेशा सत्य होता है । "

" सत्य के विपरीत होता है असत्य, जो असत्य होता है,

वही सत्य नहीं होता है । "

तब तक मेरे ज्ञान चक्षु खुल चुके थे, हँसी रोके न रूक रही थी, क्या कह रहे थे, सिर्फ एक ही बात !!

आगे फिर आवाज आयी !!

" तो बंधुओ, असत्य में सिर्फ अ हटा दो,वह सत्य बन जाता है।"

" और सत्य में सिर्फ अ जोड़ दो, वह असत्य हो जाता है ।"

" हमेशा सत्य बोलो, असत्य नहीं, अगर असत्य बोलोगे तो सत्य कैसे बोलोगे, इसलिए असत्य मत बोलो ।"

" असत्य नहीं बोलोगे, तो हमेशा सत्य बोलोगे ।"

" सत्य बोलोगे तो असत्य बोल ही नहीं पाओगे।"

और इधर मेरा हाल बेहाल हो चुका था, हँसते-हँसते मेरा

बहुत बुरा हाल हो चुका था।

आवाज अभी भी सुनाई पड़ रही थी, सदैव सत्य बोलो,

कभी असत्य मत बोलो !

फिर वही मधुर आवाज एक भजन गाने लगी...

इतनी शक्ति हमें देना दाता

मन का विश्वास कमजोर हो ना !!

जब आधा घंटा हँस चुकी तो समझ में आया कि प्रवचन किसे कहते है??

जब मंच पर सुंदर- सुंदर बच्चे प्रवचन देते हैं तो कितनी भाव मग्नता से लोग सुनते हैं, लगता है यह बालक/ बालिका ।

पांच हजार वर्ष की तपस्या करके अभी- अभी हिमालय से लौटे हैं, यहाँ प्राप्त ज्ञान की गंगा बहा रहे हैं।

कुछ ऐसा ही हाल सुंदर- सुंदर साध्वीयों का है, जिन्हें बोलते देखकर समझ ही नहीं आता है कि .......

"हे भगवान " कल की छोकरी, दीक्षा लेते ही इतनी ज्ञानवान हो गई है " !!

इतनी उमर लगा दी मैंने, फिर भी नहीं समझ पायी,

कि इतना आसान है प्रवचन देना....

" वही तो बोलना है,जो लोग पहले से बोलते आए हैं,

परीक्षा में भी तो रट्टू तोता ही पहला नंबर लाते हैं " !!

धिक्कार है मुझपर, जो अब तक रट न पाई ?


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