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Diwa Shanker Saraswat

Children Stories Drama Children

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Diwa Shanker Saraswat

Children Stories Drama Children

आरुषी द सुपर गर्ल, डाक्टर नाटा

आरुषी द सुपर गर्ल, डाक्टर नाटा

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  इंस्पेक्टर दयाशंकर अपनी पत्नी सिंदूरी से बहुत प्रेम करता है। पर गुस्सा भी वहीं ज्यादा होता है जहां प्रेम ज्यादा हो। आखिर बार बार सिंदूरी का छोटी छोटी बातों से डरना, चूहा को देख किचन की स्लिप पर बैठ जाना, छिपकली को देख बाथरूम में बंद हो जाना, आखिर कोई कब तक सहन करे। दयाशंकर हमेशा सिंदूरी को बहादुर बनाना चाहता था। पुलिस विभाग में वैसे भी कई लड़कियां बहादुरी के बलबूते पर नौकरी कर रहीं थीं। फिर सुपर गर्ल आरुषी ने तो लड़कियों को बहादुर बनाने का जिम्मा ले रखा था। आरुषी जो थोड़ा मोर्डन टाइप की बाय कट बालों बाली सुपर गर्ल थी, बच्चों में बहुत लोकप्रिय थी। बच्चों को बहादुर बनने के लिये प्रेरित करती व खासकर लड़कियों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती।

  छोटी मोटी बातें तो दयाशंकर बर्दाश्त करते आ रहे थे। पर आज अचानक कुछ बदमाशों ने उनपर उस समय हमला कर दिया जब वह अपने घर में सो रहे थे। तो रिवाल्वर लेकर डकैतों का मुकाबला करने लगे। भला हो आरुषी द सुपर गर्ल का, कि वह आ गयी। बदमाशों के पसीने छूट गये। पर दयाशंकर को सिंदूरी की चिंता हो रही थी। थोड़ी देर पहले तक घर पर थी, सिंदूरी का कहीं पता न था। बदमाशों के भाग जाने के बाद भी दयाशंकर को सिंदूरी कहीं दिखाई नहीं दी तो अनिष्ट की आशा से दयाशंकर रोने लगे। आरुषी दयाशंकर को हिम्मत देने लगी।

  " घबराइये मत इंस्पेक्टर साहब..। मुझे लगता है कि सिंदूरी सही सलामत होगी। थोङा सब्र करें। सिंदूरी घर में ही कहीं मिलेगी।"

   आरुषी की बातों से दयाशंकर को थोड़ी हिम्मत मिली। पर ढूंढने पर भी सिंदूरी कहीं नहीं मिली। दयाशंकर चाहते थे कि आरुषी अपनी सुपर ताकत से सिंदूरी को ढूंढ लाये। कहीं सिंदूरी बदमाशों के हाथ तो नहीं लग गयी।

  आरुषी सिंदूरी को ढूंढने निकली। पर थोड़ी ही देर में इंस्पेक्टर को पलंग के नीचे कुछ आवाज सुनाई दी।

  " ऊ.. ऊ..ऊ...।कोक्रोच... ।"

  दयाशंकर ने पलंग के नीचे देखा तो आरुषी कोक्रोच से डरकर पलंग के नीचे एक कोने में घुसी जा रही थी।

   " तुम नीचे.. ।"

  " बंदूकों की आवाज सुनकर नीचे घुस गयी। अब कोक्रोच निकलने नहीं दे रहा।"

  " चल निकल बाहर। डरपोक बाप की डरपोक लड़की। जब से मेरी जिंदगी में आयी है, मेरा जीवन ही नर्क बना दिया है। कभी चुहिया से डर जाती है। कभी छिपकली से। एक बार तो माॅल में बाथरूम में बंद रह गयी। अरे डरपोक लड़की। कुछ आरुषी से सीख। कितनी हिम्मती लड़की है। "

 दयाशंकर को लगा कि उसने कुछ ज्यादा बोल दिया है। पर धनुष से निकला तीर और मुंह से निकली बात कभी वापस नहीं आते। सिंदूरी ने रो रोकर घर भर दिया। वैसे तो दयाशंकर सिंदूरी को मनाने जा रहा था। पर सिंदूरी के बेवजह आक्षेपों को सहन न कर पाया।

 " मुझे सब मालूम है। अब आप बदल गये हों। आप मुझे प्यार नहीं करते। आप तो उस सुपर गर्ल आरुषी से प्रेम करते हों। तभी तो इतना फटकार लगा रहे हों। और आरुषी भी कोई दूध की धुली नहीं है। तभी तो हर बार आपके पास आ जाती है।"

  दयाशंकर अब आपे से बाहर पहुंच गया। जो आज तक कभी नहीं हुआ, वह आज होने बाला था। दयाशंकर सिंदूरी पर हाथ छोड़ ही देते कि उन्हें सिंदूरी की जगह आरुषी नजर आयी। वही बायकट बाल... ।पेंट शर्ट पहने हुए..।

 " आरुषी..... तुम ।"

" अब देखो... ।तुम्हें वह चुङैल ही नजर आ रही है। सिंदूरी को आरुषी बोल रहे हो। हे भगवान..। इससे अच्छा, मुझे उठा ले।"

  अब दयाशंकर को भी सिंदूरी की बातों में सच्चाई लगने लगी। जब भी वह परेशानी में था, आरुषी के उसके साथ खड़ी थी। आरुषी के दिल की तो कह नहीं सकते। पर आज तक वह आरुषी को अपनी दोस्त समझता था। वह प्रेम तो अपनी डरपोक पत्नी सिंदूरी से ही करता है। पर अब दयाशंकर आत्मग्लानि के भ्रमर में डूब रहा था।

  सिंदूरी बड़बड़ाते हुई दयाशंकर की तरफ बढ़ रही थी और दयाशंकर को सिंदूरी की आवाज में आरुषी खुद की तरफ आती दिख रही थी। अपराध बोध में दयाशंकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। सिंदूरी ने नजदीक आकर दयाशंकर को गले से लगा लिया। दयाशंकर को इस बात पर यकीन करने में भी बहुत देर लगी कि उसकी डरपोक पत्नी सिंदूरी ही वास्तव में सुपर गर्ल आरुषी है।

 हकीकत जानने के बाद दयाशंकर को सिंदूरी से और ज्यादा प्रेम हो गया। अक्सर सिंदूरी के लिये दयाशंकर महंगी खरीददारी करता। अब सिंदूरी अक्सर सलवार सूट और कभी कभी जींस कमीज पहने दिख जाती। पर अभी भी सिंदूरी चूहों और छिपकलियों से डरती थी। वास्तव में तो यह उसके प्रेम इजहार करने का तरीका था।

 विगत दिनों आरुषी ने बाबा सरकार का खात्मा कर नागरानी सुलोचना को आजाद कराया था और नागलोक भी शैतान नाग से मुक्त किया था। उसके बाद आतंकी सरदार सुल्तान कहीं छिप गया था। वास्तव में एक कहावत ' चोर चोर मौसेरे भाई' यों ही नहीं बनी है। अब सुल्तान की दोस्ती डाक्टर नाटा से हो गयी। यदि विज्ञान वरदान है तो अभिशाप भी है। विज्ञान के धनी डाक्टर नाटा के प्रयोगों का उद्देश्य दुनिया में तबाही लाना ही है।

  " तुम आरुषी की ताकत को जानते नहीं हो डाक्टर नाटा। वह लड़की अचूक ताकतों को रखती है। हवा में उड़ लेती है। आग को हाथों से पकड़ लेती है। और तो और गायब भी हो जाती है। बाबा सरकार को तो उसने ऐसे नष्ट कर दिया कि वो कुछ भी न हो।" आतंकी सुल्तान वास्तव में आरुषी से डरा हुआ था।

 " एक लड़की कैसे मर्दों को हरा सकती है। और हराती है तो फिर तो मर्दों के लिये डूब मरने बाली बात है। औरत तो पैरों की जूती होती हैं। और अगर पैरों की जूती सर पर चढ़े तो उसे ठिकाने लगाना ही चाहिये। मित्र सुल्तान... । वह लड़की जल्द मेरी कैद में होगी। उसे प्रताड़ित करने के जितने तरीके तुम्हें ठीक लगें, उसपर आजमाना। " डाक्टर नाटा भले ही वैज्ञानिक हो पर सोच उसकी पुरुष वादी थी। आरुषी के लड़की होने के कारण ही उसे ज्यादा जलन हो रही थी।

  जो बात बाबा सरकार की समझ में नहीं आयी, वह डाक्टर नाटा को समझ आ गयी। डाक्टर नाटा निर्मित रोबोट ने दयाशंकर पर हमला कर कैद कर लिया। आरुषी अपनी ताकत का इस्तेमाल करती, उससे पहले ही एक चुनौती सुनाई दी।

  " आरुषी द सुपर गर्ल । चुपचाप अपने आप को हमारे हबाले कर दो। अगर कोई चालाकी दिखाई तो इंस्पेक्टर दयाशंकर मारा जायेगा।"

  " नहीं... ।उन्हें कुछ मत करना। मैं खुद को तुम्हें सौंपती हूं।"

  " आरुषी... ।ऐसा मत करो। मेरी चिंता मत करो। इस रोबोट को नष्ट कर दो।" इंस्पेक्टर दयाशंकर के कहने पर भी आरुषी कुछ न कर सकी।

   दयाशंकर और आरुषी दोनों बंधकर डाक्टर नाटा के पास थे। पर अभी भी सुल्तान को यकीन न था।

 " मुझे लगता है कि यह आरुषी की परछाईं है। आरुषी ने बाबा सरकार को इसी तरह बेवकूफ बनाया था। खुद ने पीछे से आकर बाबा सरकार का अंत कर दिया था।" सुल्तान को पिछली बात याद थी। पर डाक्टर नाटा का अनुमान सही था। दयाशंकर के लिये आरुषी कोई ऐसी गलती नहीं करेगी। और डाक्टर नाटा की बात सही निकली।

  दयाशंकर को एक पिंजरे में बंद कर दिया। आरुषी को बांध कर लटका दिया। उसके पैर जमीन पर न थे। गुस्से में भरे सुल्तान ने उसपर कोड़ों की मार लगानी शुरू कर दी। दयाशंकर आरुषी के लिये चीख रहा था। वैसे आरुषी के लिये ये बंधन कुछ भी न थे। पर प्रेम के बंधन के कारण वह कुछ भी नहीं कर सकती थी। अब एक ही तरीका था।

   " पापा..। कहाँ हो। आओ।" आरुषी ने मन ही मन अपने सुपर हीरो पिता को आवाज दी। दूसरी तरफ से भी उसे अपने पिता की आवाज सुनाई दी।

   " बेटी... ।आज मैं भी मजबूर हूं।"

 .. " ऐसी क्या मजबूरी पापा। आपकी बेटी और दामाद मुसीबत में हैं। और आप को फर्क नहीं पड़ रहा है।"

" कापी राइट की मजबूरी है बेटी। अगर दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत' की कहानी में मैं घुस गया तो दूसरे कई लोग पीछे पड़ जायेंगे। मेरे भी और प्रशांत के भी। " दूसरी तरफ से आवाज आयी।

" तो कोई उपाय तो होगा। मेरा तो दिमाग काम करें, उससे पहले ही सुल्तान अगला कोड़ा मार देता है। " आरुषी को जैसे कोड़ों की मार से कुछ भी फर्क नहीं पड़ रहा था। वैसे सुल्तान को दिखाने के लिये चीख कर दिखा रही थी। उसकी चीख के साथ ही दयाशंकर की जान निकल जाती।

  दोनों पिता और पुत्री में बात हुई। अचानक आरुषी ने दूसरा रूप रखकर डाक्टर नाटा को पकड़ लिया। रोबोट को तहस नहस कर दिया।

  " यह तो मेरे ध्यान में ही नहीं था कि मेरी एक शक्ति एक साथ दो रूप रख लेना है। थैंक्यू पापा... ।"

  "अब बेटी अपनी ताकत भूल जाये तो पिता तो उसे याद दिलाएगा ही । और कापीराइट की बात नहीं है। बात यह है कि लड़कियां कभी भी लड़कों कमजोर नहीं होतीं। उन्हें मर्दों के सहारे की कोई जरूरत नहीं है। "

  फिर जरा सी देर में आरुषी ने दयाशंकर को आजाद कर दिया। पर इस बार भी आतंकी सुल्तान भागने में कामयाब हो गया।

 " आरुषी। आप हमेशा हमारी मदद करती हो। आज आपकी वजह से एक अपराधी पकड़ में आया। वैज्ञानिक होकर भी विज्ञान का दुरुपयोग करने में लगा हुआ एक वैज्ञानिक किसी आतंकवादी से कम नहीं है।" इंस्पेक्टर दयाशंकर ने ऐसे ही व्यक्त किया कि उन्हें आरुषी की हकीकत नहीं पता है।

    " यह तो हमारा फर्ज है इंस्पेक्टर। " आरुषी इतना बोलकर उड़ गयी।

  शाम को दयाशंकर घर वापस आये।

" अरे सिंदूरी कहां हो भई।"

 " अच्छा रहा आप आ गये। यह चूहा बार बार मेरा रास्ता रोक रहा है। मैं तो डर के मारे बिस्तर से ही नहीं उतरी।"

 " अरे मेरी सिंदूरी... । चूहा के डर से बिस्तर से नहीं उतरी। अब तो मैं आ गया हूं।" दयाशंकर ने सिंदूरी को गले लगा लिया। दयाशंकर सिंदूरी के शरीर पर हाथ फेर कर देख रहा था कि सिंदूरी को कहीं चोट तो नहीं लगी।

 " वैसे सिंदूरी... । आज तो लड़कियां भी लड़कों से कम नहीं हैं। आरुषी कितनी बहादुर लड़की है। "

 " आरुषी के पापा सुपर हीरो होंगे। मेरे पापा तो डरपोक हैं। एकदम मेरी तरह.... ।"

" हाँ... यह भी सही बात है। हो सकता है कि आरुषी के पापा भी घर पर डरपोक हों। आरुषी भी अपने घर पर डरपोक हो। "इस बात दयाशंकर सचमुच हंस दिया।

   



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