बच्चों की उच्च-स्तरीय शिक्षा और परिवार की खुशहाली के लिए नौकरी छोड़ी,
उसके चेहरे पर अजीब सा सुकून था।
इस प्रकार मेरी सारी चिंता दूर हो गई और मैं निश्चित मन से अपने गाँव वाले घर में रहने लगा।
वो बोल रहा था और मैं सुन रही थी लेकिन मेरे कानों में जो शब्द गूंज रहे थे वो............
सारे ऐशो आराम और प्यार तो है मेरे पास फिर भी ना जाने क्यूँ वो बेफिक्र नींद नहीं आती।
“माँ”के मन्द स्वर ने उसकी तन्द्रा भंग कर दी और वह उठ कर कमरे में बेटे के बिस्तर की ओर