माँ, मेरे कान तरस गए, तेरी सुरमई वीणा सुनने को। माँ, मेरे कान तरस गए, तेरी सुरमई वीणा सुनने को।
सब्र का विस्तार जो था तारों के पार , सिकुड़ कर आंगन में आ गया! सब्र का विस्तार जो था तारों के पार , सिकुड़ कर आंगन में आ गया!
मन में जले दीप उजाला हर घर में हो अंधेरा न कही जगमग हर शहर में हो! मन में जले दीप उजाला हर घर में हो अंधेरा न कही जगमग हर शहर में हो!
मगर ये सच हे, हाथ बढ़ाने की बजाए, हथियार उठाने में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र होगा। मगर ये सच हे, हाथ बढ़ाने की बजाए, हथियार उठाने में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र ह...
दीवार के इस पार इंसान हैंं, उस पार प्रकृति। इस पार शोर रहता है उस पार शान्ति। दीवार प्रकृति के पत्... दीवार के इस पार इंसान हैंं, उस पार प्रकृति। इस पार शोर रहता है उस पार शान्ति। ...
ममतामयी, करुणामयी, दयामयी हे माँ, सोतों को जगा दे कृपा कर हे माँ। ममतामयी, करुणामयी, दयामयी हे माँ, सोतों को जगा दे कृपा कर हे माँ।