संत-संतापहर, विश्व-विश्राम कर, सज्जनानंद-बर्धन-खरारी। संत-संतापहर, विश्व-विश्राम कर, सज्जनानंद-बर्धन-खरारी।
तुका ह्मणे तैसा भला मी लोकांत । परी तूनं कृत्त पाविंत पांडुरंगा ॥४॥ तुका ह्मणे तैसा भला मी लोकांत । परी तूनं कृत्त पाविंत पांडुरंगा ॥४॥
ख़ुश रहोगे सुखी रहोगे चलो राह सच्ची मेहनत से। ख़ुश रहोगे सुखी रहोगे चलो राह सच्ची मेहनत से।
तालियों से इस मौन शिष्य का अभिवादन किया ! तालियों से इस मौन शिष्य का अभिवादन किया !
कलाम वो कलाम थे जो देश के ही नाम थे दिव्य राष्ट्र भारत के वो तो अभिमान थे राष्ट्र भक्ति ... कलाम वो कलाम थे जो देश के ही नाम थे दिव्य राष्ट्र भारत के वो तो अभिमान ...
बस्ती से दूर कुटिया में, एक रहते थे संत, आत्मा से कर सकते थे, बातें वे तो तुरंत। बस्ती से दूर कुटिया में, एक रहते थे संत, आत्मा से कर सकते थे, बातें वे तो तुर...