तुका ह्मणे तैसा भला मी लोकांत । परी तूनं कृत्त पाविंत पांडुरंगा ॥४॥ तुका ह्मणे तैसा भला मी लोकांत । परी तूनं कृत्त पाविंत पांडुरंगा ॥४॥
बहादुरों की कमी नहीं थी हमारे यहाँ बहादुरों की कमी नहीं थी हमारे यहाँ