यौवन के घोड़े पर सवार रूप को और भी दे रहा लावण्य कानों का ये शृंगार। यौवन के घोड़े पर सवार रूप को और भी दे रहा लावण्य कानों का ये शृंगार।
मैं ईश्वर की अनुपम रचना मुझको नारी ही रहने दो। मैं ईश्वर की अनुपम रचना मुझको नारी ही रहने दो।