जो तब न समझता था आज जाने क्या -क्या समझ चुका हूँ। जो तब न समझता था आज जाने क्या -क्या समझ चुका हूँ।
उसकी कल्पना करना, कहानी को फिर से जोड़ना, वो मजा कहां है। उसकी कल्पना करना, कहानी को फिर से जोड़ना, वो मजा कहां है।
तालाब व कीचड़ वाली, जगहों पर यह उगता। तालाब व कीचड़ वाली, जगहों पर यह उगता।
यह कविता उन लोगों के नाम है जो ज़िंदगी का लंबा सफर तय करने के बावजूदअभी भी अपने पहले प्यार को भुला न... यह कविता उन लोगों के नाम है जो ज़िंदगी का लंबा सफर तय करने के बावजूदअभी भी अपने ...