मालिकाना हक बदल जाये अभी तक तो ड़ोर है तेरे हाथ में इतना भी मत खींच की ड़ोर मालिकाना हक बदल जाये अभी तक तो ड़ोर है तेरे हाथ में इतना भी मत खींच की ड़ोर
दुनियादारी का भूला हुआ, मुसाफिर साखी मनचला हूं लोग कहते है, मैं पगला हूं सादगी का व्यर दुनियादारी का भूला हुआ, मुसाफिर साखी मनचला हूं लोग कहते है, मैं पगला हूं सादगी ...
समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता है। समय सज़ा मुकम्मल कर जाता है, कोई मनचला महबूब उसे मंडप से ही उड़ा ले जाता ...
होकर रुखसत सभी कल को, चले जायेंगे अपने शहर। होकर रुखसत सभी कल को, चले जायेंगे अपने शहर।