भाग-दौड़ की रेल में जैसे सवार हो गये मुस्कुराने की कला जैसे भूल ही गये। भाग-दौड़ की रेल में जैसे सवार हो गये मुस्कुराने की कला जैसे भूल ही गये।
अभी तो जीना शुरू किया है,पाबंदियां इतनी ना लगाओ,,,,,! अभी तो जीना शुरू किया है,पाबंदियां इतनी ना लगाओ,,,,,!
बिना अनुमति कुछ भी नहीं करते फिर भी पाबंदियाँ, कानून का डर हमें ही है बिना अनुमति कुछ भी नहीं करते फिर भी पाबंदियाँ, कानून का डर हमें ही है
हर मौसम वो मर्ज़ी से जी सकता है आखिर वो भी तो इंसान है। हर मौसम वो मर्ज़ी से जी सकता है आखिर वो भी तो इंसान है।