ललचा कर मुझे कॉटन-कैंडी-सी अलोप जाती हो। ललचा कर मुझे कॉटन-कैंडी-सी अलोप जाती हो।
न चाह कर भी यारों उसका होने लगा हूँ जब से मन मंदिर में घूमता उसे आजाद देखा। न चाह कर भी यारों उसका होने लगा हूँ जब से मन मंदिर में घूमता उसे आजाद देखा।
अगर ये जिह्वा रहे न वश में यही समझ लो मदन छलेगा अलग रखो तुम सदा फ़िकर को वरन तुम्हारा बदन गलेगा अगर ये जिह्वा रहे न वश में यही समझ लो मदन छलेगा अलग रखो तुम सदा फ़िकर को वरन त...
सुर से सुर नहीं मिलता मौसिकी करें कैसे सुर से सुर नहीं मिलता मौसिकी करें कैसे