ना जाने क्यूँ रूठी हूं मैं, हर जगह से टूटी हूं मैं ! ना जाने क्यूँ रूठी हूं मैं, हर जगह से टूटी हूं मैं !
हिम्मत और हौसलों की ऊंचाई कौन नाप पाया है, हिम्मत और हौसलों की ऊंचाई कौन नाप पाया है,
कभी जीवन कभी मृत्यु। पर असली व पूर्ण मानव तो वह है जो हर स्थिति में सम है। कभी जीवन कभी मृत्यु। पर असली व पूर्ण मानव तो वह है जो हर स्थिति में सम है।
आज वो बूढ़े हो गये और कुछ ऊँचा सुनने लगे हैं। आज वो बूढ़े हो गये और कुछ ऊँचा सुनने लगे हैं।