तेरी कल्पनाओं का है ह्रदय में गेह प्रियवर... तेरी कल्पनाओं का है ह्रदय में गेह प्रियवर...
कोमल उर-सी परियों का है जीवन तेरा, कोमल उर-सी परियों का है जीवन तेरा,
'अयोध्या' की 'एक बूंद' छोड़ गेह निज सीप मुख में पहुंचकर बन जाती है मोती। 'अयोध्या' की 'एक बूंद' छोड़ गेह निज सीप मुख में पहुंचकर बन जाती है मोती।