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आवाज कोमल अवधारणा बन जाती है मोती प्रवास उत्प्रवासी मीन मन अच्छी कविता बदलेगा ठांव परियों बदले जब क्षेत्र निवास मानवता छोड़ गेह निज जीवन हृदय नेह प्रभाव आप्रवासी विवेकशीलता संग नियोजन

Hindi गेह Poems