गलतियाँ हुई तुम से बेशक आहिस्ता आहिस्ता इतनी, तुम को खुद नहीं पता कैसे हो गई गलतियाँ इ गलतियाँ हुई तुम से बेशक आहिस्ता आहिस्ता इतनी, तुम को खुद नहीं पता कैसे हो गई ...
संभाल के समेटना इन दियों को सारी रात हमें रोशनी देने के लिए खुद की तपिश में जलती रही। संभाल के समेटना इन दियों को सारी रात हमें रोशनी देने के लिए खुद की तपिश मे...
मेरी सभी गलतियों को माफ करने वाला वो भाईचारा हो तुम मेरी सभी गलतियों को माफ करने वाला वो भाईचारा हो तुम
हमारी मूर्खता भरी बातों पर यूँ छुप कर मुस्काराना हमारी मूर्खता भरी बातों पर यूँ छुप कर मुस्काराना