अभी ही तो आया था..सुधारस सा छाया था यौवन मकरंद...पुष्ट हुए जाते थे..अंग -प्रत्यंग , अभी ही तो आया था..सुधारस सा छाया था यौवन मकरंद...पुष्ट हुए जाते थे..अंग -प्रत...
जाने क्या ढूँढ़ती रहती हैं, मेरी आँखें मुझमें, राख के ढेर में सिर्फ धुँआ है या चिंगारी जाने क्या ढूँढ़ती रहती हैं, मेरी आँखें मुझमें, राख के ढेर में सिर्फ धुँआ है या...
संसद और विधानसभाओं में करोड़पतियों की भरमार फिर कैसे हो सकती है वहाँ महंगाई पर चर्चा। संसद और विधानसभाओं में करोड़पतियों की भरमार फिर कैसे हो सकती है वहाँ महं...
ये साथ हमारा था जीवन भर का, हमें सुख दुख सब संग उठाने थे, ये साथ हमारा था जीवन भर का, हमें सुख दुख सब संग उठाने थे,