जीवन के 40 सावन गुजर चले, यादों के बादल उमड़ कर घुमड़ चले वो विशालकाय घनघोर है जो पाषाण काल का ... जीवन के 40 सावन गुजर चले, यादों के बादल उमड़ कर घुमड़ चले वो विशालकाय घनघोर ...
अंतरात्मा को समय समय पर खंगालते रहिये ईष्या के जालों को मन से झाड़ते रहिये। अंतरात्मा को समय समय पर खंगालते रहिये ईष्या के जालों को मन से झाड़ते रहिये।
एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं।। एहसास मर रहे हैं हम कृतघ्न हो रहे हैं।।
एक कुटुम्ब रखना है हमें पूरी वसुधा को। रक्षक-रक्षित बन करें सबका ही अभिनंदन। एक कुटुम्ब रखना है हमें पूरी वसुधा को। रक्षक-रक्षित बन करें सबका ही अभिनंदन।