ज़िंदगी
ज़िंदगी
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ज़िंदगी नाम है गम का
हमेशा दर्द ही देती जाती है
सब हैं ख़ुशी के इंतज़ार में
और ये रेत की तरह,
हाथों से निकल जाती है
ऐ खुदा क्यों दी ये ज़िन्दगी,
जब पता था जीना नहीं आसान
लोग दिल दुखा देते हैं ,
और बड़े शौक से कहते हैं ,
यही है तुम्हारा अंजाम
ऐ ज़िन्दगी अब कैसे करेंगे
ऐतबार तुझपे इतना सहके
जब भी सोचते हैं ख़ुशी का
तू आँखों से निकलती है
आंशुओ के संग बहके
