यादों की बारिश
यादों की बारिश
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खुद से एक वादा कर
मैं चला नई मंजिल की तलाश में,
ठहराव था उस पड़ाव में
मगर यादों की बारिश
भिगोती थी दिन रात,
कैसे मैं रोकता खुद को
और कैसे मैं रोकता आंसुओं को
जो किसी रिश्ते की छाँव थी,
भीगने का मेरा कोई इरादा न था
मगर दुःख को भी छोड़ने का मेरा इरादा न था
कहते लोग
वक़्त हर जख्म भर देता
मगर किसी का अहसास
कभी नहीं मरता
बल्कि किसी न किसी रूप में
यादों की बारिश बन बरसता रहता।