यादें अभी तक बाँकी है
यादें अभी तक बाँकी है
बचपन की वो यादें बारिश का पानी
कागज की नावें, गुड्डे-गुड़ियों की कहानी
दादी के किस्से तो माँ की लोरी सुहानी
बैठ कंधे पिता के हुई बचपन सयानी
नाना व नानी हैं यादें बचपन पुरानी
थे कितने हँसी वो पल सभी
थाम उंगली माता-पिता की चले सभी
होते थे हौसले तुफानी सभी
चलती थी मेरी भी कागज की कश्ती कभी
बहता था जो बारिश का पानी
वो सावन के झूले, वो वर्षा सुहानी
नटखट अदाओं के सब थे दीवानें
मामा की गोदी तो मासी भी प्यारी
नानी की कहानी, वो परियों की रानी
हर पल सताये मोहब्बत बचपन पुरानी
छोड़कर वो गलियां हम बढ़ चले
जाने कहाँ, किधर, क्यों चल पड़े
वो नादान दिल जाने कहाँ खो दिए
खोकर सच्ची मोहब्बत व प्यारे जज्बात
अब अहम औ वहम से दिल भर लिए
खुद कत्ल करके जज्बातों के हमने
इल्जाम जमाने व गैरों के सर कर दिए
आज भी वो गुजरा जमाना याद करता हूँ
बैठकर माँ-पिता संग खाने को तरसता हूँ
माँ के हाथों बनी वो चपाती है लुभाती
सर्दियों में आंगन पर वो अलाव की गर्मी
गर्मियों में खुले आसमान छत की रातें
जाने कहाँ खो गई भरे परिवार की बातें...
